Hindi News / Indianews / Anurag Gupta Illegal Appointment As Director General Of Police Dgp In Jharkhand

झारखंड में पुलिस महानिदेशक (DGP) के रुप में अनुराग गुप्ता की हुई अवैध नियुक्ति, ED की चल रही जांचों में बाधा डालने का लग रहा आरोप

Jharkhand DGP Anurag Gupta : हेमन्त सोरेन के भूमि अधिग्रहण मामले के प्रमुख्य गवाह- दो सर्किल आफिसर यथा-शैलेश प्रसाद और मनोज कुमार पर ACB द्वारा केस दर्ज कर गवाही से मुकरने का दबाव बनाया जा रहा है ।

BY: Shubham Srivastava • UPDATED :
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Jharkhand DGP Anurag Gupta : UPSC के 14 फरवरी, 2023 को अनुमोदित पैनल के आधार पर नियुक्त अजय कुमार सिंह को अकारण हटाकर 25 जुलाई, 2024 को अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया जिनका नाम UPSC पैनल में था ही नहीं । विधानसभा चुनाव-2024 में केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा अजय कुमार सिंह को नियमित डीजीपी नियुक्त किया, जिसे चुनाव समाप्त होते ही पुनः अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी नियुक्त कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह मामले के निर्णय के प्रावधानों से भिन्न अनुराग गुप्ता को सेवानिवृति की तिथि (30 अप्रैल,2025 ) से 02 वर्षों का सेवा विस्तार दिया गया। गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पत्रांक-16011/2/IPS.11 दिनांक 22.04.2025 से भी यह स्पष्ट है कि उक्त सेवा विस्तार अमान्य है । प्रधान महालेखाकार (A&E), झारखंड के द्वारा भी यह पुष्टि की गई है कि 30.04.2025 के बाद किसी भी प्रकार का वेतन/भता प्राप्त नहीं हो रहा है । इसके बाद उनका सेवा में बने रहना अवैध है।

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Jharkhand DGP Anurag Gupta

क्या है उनको लाने के पीछे का उद्देश्य?

यह परिलक्षित हो रहा है कि अनुराग गुप्ता द्वारा राज्य में ईडी की चल रही जाँचों में बाधा डालना और प्रभावित किया जा रहा है । उन पुलिस द्वारा दर्ज मामलों/प्रेडिकेट ऑफेन्स को धीरे-धीरे निरस्त किया जा रहा है जिनके आधार पर ईडी ने राज्य में करीब दर्जन भर ईसीआईआर दर्ज कर नकदी रुपयों की बरामदगी हुई और मनी लांड्रिग के आरोपी, सरकारी-गैरसरकारी-बिचौलिये आज जेल में बंद हैं।

डीजीपी अनुराग गुप्ता भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के पद पर रहते हुए ईडी के गवाहों को डराने, फंसाने और बयान बदलने का प्रयास किया जा रहा है । उमेश टोप्पो, राज लकड़ा और प्रवीण जयसवाल- (जमीन घोटाले के गवाह) पर दबाव बनाया गया और नहीं मानने पर जेल भेज दिया गया ।

गवाहों पर बनाया जा रहा दबाव

हेमन्त सोरेन के भूमि अधिग्रहण मामले के प्रमुख्य गवाह- दो सर्किल आफिसर यथा-शैलेश प्रसाद और मनोज कुमार पर ACB द्वारा केस दर्ज कर गवाही से मुकरने का दबाव बनाया जा रहा है । इन दोनो गवाहों के धारा 164 (BNS 183) के तहत हेमंत सोरेन के पक्ष में बयान दर्ज कर ईडी की जांच को निष्प्रभावी करने का मंशा है। ईडी के तीन अन्य गवाहों पर भी दबाव बनाया गया नही मानने पर जेल भेज दिया गया ।

ईडी द्वारा मुख्य सचिव, झारखंड को बार-बार सूचना के बावजूद न तो प्राथमिकी दर्ज हूई और न ही सुरक्षा सुनिश्चित की गई । इस तरह ACB और राज्य पुलिस द्वारा ईडी की जांच को कमजोर करने का सांगठनिक प्रयास किया जा रहा है।

छतीसगढ़-झारखंड शराब घोटाला की जांच छतीसगढ़ सरकार ने सीबीआई को सौंप दी तो इसमें शामिल बड़े लोगों को बचाने के लिये अनुराग गुप्ता ने ACB में केश दर्ज कर आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा ताकि ये लोग केन्द्रीय एजेन्सी के सरकारी गवाह न बन सकें ।

अनुराग गुप्ता पर गंभीर आरोप

बिहार राज्य के कार्यकाल में गया के एसपी रहते डिग्री घोटाला में Magadh University Police Station Case No.64/2000 under section 420,467,468,471,109,116,119,120(B)and 201 of IPC and Section 13 of Prevention of Corruption Act दर्ज है और चार्जशीट दाखिल है । अभियोजन स्वीकृति के लिए बिहार सरकार में लंबित है ।

कोयला,बालू,भूमि घोटाला, ट्रान्सफर-पोस्टिंग में लेन-देन और अवैध संपति अर्जन का आरोप है। इसके अलावा पुलिस विभाग में खरीद घोटाला, घटिया सामग्री की आपूर्ति – IG स्तर के अधिकारी द्वारा मुख्य सचिव को प्रेषित एक व्हिसिल ब्लोवर रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ।

लंबित विधिक कार्यवाही-

  • माननीय उच्चतम न्यायालय में Contempt Petition (Diary No.8340/2025) जिसकी अगली सुनवाई जुलाई में संभावित है ।
  • झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (WPC No.2098/2025) विचाराधीन । सुनवाई 16 जुलाई को होनी है ।
  • एक एनजीओ द्वारा Contempt Petition (Filing No.77362025) माननीय उच्चतम न्यायालय में लंबित।

उठाए जाने चाहिए ये कदम-

  • अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल ,2025 को विधिसम्मत रुप से सेवा निवृत्त माना जाये।
  • झारखंड सरकार द्वारा बनाये गए असंवैधानिक नियमों को तत्काल निरस्त किया जाए।
  • भारत सरकार को All India Service Rule का पालन सुनिश्चित कर राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश देने चाहिए कि सेवा-विस्तार का  एकाधिकार केवल केन्द्र सरकार को है।

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