India News (इंडिया न्यूज), Bihar Politics News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सिर्फ 6 महीने बचे हैं। चुनाव शुरू होने से पहले 26 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें BJP कोटे से 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है। इसके साथ ही अब बिहार सरकार में BJP कोटे से मंत्रियों की संख्या 15 से बढ़कर 21 हो गई है। बिहार चुनाव से पहले जातिगत रणनीति के लिहाज से इस मंत्रिमंडल विस्तार को अहम माना जा रहा है, लेकिन BJP ने मंत्रिमंडल में मुस्लिम दलित और यादव को जगह नहीं दी है। इसे लेकर बिहार में सियासत भी गरमा गई है।

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BJP ने मतदाताओं को दिया संदेश

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनावी साल में BJP ने मतदाताओं को अपना संदेश दे दिया है। 2022 की बिहार जाति जनगणना के मुताबिक, हिंदुओं में सबसे ज्यादा आबादी यादव जाति की है। राज्य में यादवों की आबादी 14.26 फीसदी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यादव जाति से 52 विधायक चुने गए थे। इनमें सबसे ज्यादा राजद के पास 35, BJP के पास 8, जदयू के पास 7, लेफ्ट के पास 3 और कांग्रेस के पास 1 है। राजद के बाद सबसे ज्यादा यादव विधायक BJP के पास हैं।

इसके बावजूद बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में BJP ने किसी यादव को मंत्री नहीं बनाया। तब से NDA सरकार में सिर्फ एक यादव मंत्री है, वह भी जदयू कोटे से। वहीं जब रा जद को सत्ता में आने का मौका मिला तो उसने 8 यादव विधायकों को मंत्री बना दिया। यादव और मुस्लिम राजद के कोर वोटर माने जाते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि BJP अब गैर यादव जातियों को लुभाकर अलग रणनीति पर काम कर रही है। किसी भी यादव विधायक को मंत्री न बनाकर BJP ने साफ संदेश दे दिया है कि जो हमारे साथ नहीं है, उसका हम समर्थन नहीं करेंगे।

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RJD प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि नीतीश कुमार सभी जातियों को एक समान मानने का दावा करते हैं, लेकिन जब मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो बिहार में सबसे ज्यादा आबादी वाली यादव जाति को मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते। न ही मुसलमानों को जगह मिली, यही उनकी राजनीति है। हम शुरू से कहते थे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुछ नहीं कर रहे हैं। वो बात अब सामने आ गई है, जिस तरह से नीतीश कुमार यादवों, दलितों और मुसलमानों से परहेज कर रहे हैं, समय आने पर जनता उन्हें जवाब देगी।