India News (इंडिया न्यूज), Bihar Clinical Establishment Law: बिहार की नीतीश सरकार ने 26 फरवरी को 40 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को ‘क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट’ के तहत पंजीकरण से छूट देने का फैसला कर लिया। बिहार सरकार के इस फैसले के बाद ऐसे छोटे अस्पतालों को ‘बिहार क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट-2025’ के तहत पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं होगी। सरकार के अन्य संबंधित प्राधिकारों के पास पंजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया का पालन करना होगा।

14 साल के बच्चे ने बनाई हाइब्रिड साइकिल, देख कर बड़े बड़े इंजीनियर्स को आ जाएगी शर्म, जानिए क्या है खासियत?

सरकार के इस फैसले के बाद अब 40 बेड से अधिक क्षमता वाले सभी क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट को बिहार क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट-2025 (संशोधन) के तहत पंजीकरण कराना जरूरी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने इस आशय का फैसला लिया। कैबिनेट सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम-2025 (संशोधन) के अनुसार सरकार ने राज्य में एक से 40 बेड वाले क्लीनिकल प्रतिष्ठानों को पंजीकरण से छूट देने का निर्णय लिया है। 40 से अधिक बेड वाले ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।

स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी

उन्होंने आगे कहा कि कैबिनेट ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पहले के कानून के तहत 40 से कम बेड वाले प्रतिष्ठानों के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य था। शुरू में प्रोविजनल पंजीकरण दिया जाएगा जो 5 साल के लिए वैध होगा। पहले यह एक साल के लिए ही वैध था। अब संबंधित अधिकारियों को आवेदन मिलने के दस दिनों के भीतर प्रोविजनल पंजीकरण देना होगा। इसके बाद क्लीनिकल प्रतिष्ठानों को स्थायी पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा।

भारत की वजह से Trump-Musk के बीच आई दरार, क्या खत्म हो जाएगी अमेरिका के जय-वीरू की दोस्ती ? जाने आखिर क्या है मामला

ये सेवाएं उपलब्ध

अधिनियम के अनुसार, क्लीनिकल प्रतिष्ठान में अस्पताल, प्रसूति गृह, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी, क्लीनिक शामिल हैं, जहां रोग, चोट, विकृति, गर्भावस्था के निदान, उपचार या देखभाल के लिए सेवाएं प्रदान की जाती हैं। कैबिनेट ने घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाओं को अधिक प्रभावी सहायता प्रदान करने के लिए उप-मंडल, जिला और राज्य स्तर पर पूर्णकालिक “संरक्षण अधिकारियों” की नियुक्ति के लिए एक अलग कैडर बनाने के संबंध में समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी उप-मंडलों में पूर्णकालिक “संरक्षण अधिकारियों” की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी। राज्य के सभी 38 जिलों में पूर्णकालिक “संरक्षण अधिकारियों” की नियुक्ति की जाएगी।