India News (इंडिया न्यूज), Bihar Hospital: बिहार में कई सरकारें आईं और गईं लेकिन नहीं बदली तो राज्य के सरकारी अस्पतालों की सूरत। यूं तो बिहार की सरकार राज्य के लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का दावा करते नहीं थकती है लेकिन कटिहार सदर अस्पताल से सामने आई तस्वीर दावों की पोल खोलती दिख रही है। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की यह कोई पहली तस्वीर नहीं है बल्कि अक्सर ऐसे नजारे मीडिया की सुर्खियां बनते हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, कटिहार सदर अस्पताल एक बार फिर अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में है। कहने को तो यह जिले का एक मात्र बड़ा अस्पताल है और तमाम तरह के आधुनिक संसाधनों से लेश लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अस्पताल प्रशाशन की लचर व्यवस्था के कारण इसे हर बार शर्मशार होना पड़ता है। हालात ये हैं कि सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती मरीज की मौत के बाद उसे घर तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस तक मयस्सर नहीं हो सका और परिजन मरीज के मृत शरीर को ठेले पर लाद कर अपने घर ले गए।

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क्यों नहीं दिया मरीज को एम्बुलेंस

कटिहार के नया टोला फुलवाड़ी निवासी 60 वर्षीय शाहदीप राय को पीलिया के इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. मरीज की मौत के बाद उनके परिजन एंबुलेंस के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस होने के बावजूद मरीज के परिजनों को एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई।

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