India News (इंडिया न्यूज), Muzaffarpur Central Jail: बिहार के मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार में बंद कैदी जेल से रिहा होने के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण आसानी से कर सकेंगे। इसके लिए जेल प्रशासन जेल के अंदर ही कैदियों को रोजगार मुहैया करा रहा है। जेल प्रशासन कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे रही है, ताकि जब उनकी सजा समाप्त हो तो जेल से बाहर आकर मुख्यधारा से जुड़ सकें।
कैदियों को मिलेगा रोजगार का अवसर
प्रशासन की इस पहल से जेल में बंद कैदियों में खुशी की लहर है। जेल में कमाए पैसों से अपना केस लड़ रहे हैं और जेल प्रशासन की मदद से अपने घर भी पैसे भेजते हैं। जेल के अंदर बंद कैदी सूत से अपने हाथों से कपड़े के साथ-साथ तमाम तरह के मसाला, सत्तू, फिनाइल, साबुन और कुर्सी-टेबल भी बना रहे हैं। इन उत्पादों की काफी मांग है। मुजफ्फरपुर के केंद्रीय कारागार में 2 हजार से ज्यादा कैदी हैं। जेल में रहने के कारण सजायाफ्ता कैदियों की सबसे बड़ी समस्या अपने परिवार के भरण-पोषण को लेकर होती है।
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जेल में कैद कैदी अब परिवार का कर सकेंगे भरण-पोषण
लेकिन, अब उनकी समस्याओं को देखते हुए जेल प्रशासन ने जेल के अंदर ही कई तरह के रोजगारों सृजित किया हैं, जिसमें जेल में बंद कैदी अब जेल के अंदर रहकर भी काम करके अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं। इसके लिए जेल प्रशासन की ओर से जेल में ही रोजगार सृजित किया जा रहा है, जिसमें जेल में बंद कैदी काम करते हैं और काम के बदले जेल प्रशासन उन्हें मजदूरी के रूप में पैसे देता है।
इन पैसों से कैदी अपने परिवार की मदद करते हैं। जेल प्रशासन की ओर से रोजगार मुहैया कराए जाने के बाद जेल में बंद सजायाफ्ता कैदियों को इस बात का दुख जरूर है कि वे अपने परिवार से दूर हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी भी है कि वे अब जेल के अंदर रहकर भी अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण वो आसानी से कर सकते हैं, जिलाधिकारी का कहना है कि जेल में बंद कैदी लंबे समय तक जेल में रहने के कारण समाज की मुख्यधारा से अलग हो जाते हैं, लेकिन उन्हें फिर से समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गृह विभाग और कारागार विभाग की ओर से कैदियों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाते हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि जेल के अंदर ही रोजगार का सृजन किया गया है, ताकि वे जेल के अंदर रहकर भी कुछ चीजें सीख सकें, ताकि जब वे जेल से बाहर आएं तो उस काम को कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें और एक बार फिर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।