India News ( इंडिया न्यूज), Shakti, Bihar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दावा करते है कि उन्होंने राज्य में सड़कों का जाल बिछा दिया है, लेकिन उनके दावों की पोल खोल देती है बिहार में आये दिन होते नाव हादसें हालांकि अब सड़कों की हालत 90 के दशक वाली नहीं रह गई। कई गाँवों की तकदीर बदली है और उनकी कनेक्टवीति शहरों से पक्की सड़कों के माध्यम से हो गई है। लेकिन आजादी के इतने दशक बीत जाने के बाद भी मिथिलांचल और सीमांचल का बड़ा हिस्सा आज भी विकास से कोसों दूर है, इस क्षेत्र के लोग बच्चे से बुढ़े हो गई लेकिन आज भी इनके आने जाने का एक मात्र सहारा नाव ही है।
बच्चों और बड़े नाव के सहारे आने जाने के लिए मजबूर
मुज़फ्फरपुर नाव हादसा एक उदाहरण मात्र है, जहाँ बच्चों को नाव के सहारे स्कुल आना जाना लेना पड़ता हैं। कई ऐसे गाँव हैं जहाँ बच्चों और बड़े नाव के सहारे आने जाने के लिए मजबूर है, लोगों को मवेशियों के चारों से लेकर अपने खाने पीने की समानों को भी खरीदने जाने के लिए नदी नाव के द्वारा पार करना पड़ता है, बात यही थम नहीं जाती बरसात का महीना आते ही सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्र के अधिकांश स्कूल।
उत्तर बिहार में नदियों का जाल सा बिछा है
तीन से चार महीनों के लिए बंद इसलिए हो जाते है क्योंकि कहीं नदिनों का जल अस्तर इतना बढ़ जाता है कि नाव चलना भी मुश्किल हो जाता है तो कहीं स्कुल चारों तरफ से पानी से घिर जाता है, ऐसे में बिहार के हजारों बच्चों का भविष्य हर साल अंधकार में चला जाता है, बिहार खास कर उत्तर बिहार में नदियों का जाल सा बिछा है। नेपाल की वारिश हो या नदियां अमूमन हर साल उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में आ जाता है। जान माल और तबाही झेलना इस क्षेत्र के लोगों की तकदीर बन गई है, आये दिन नाव से डूब कर लोगों की मौतें होती रहती है.लेकिन राज्य सरकार की आँखें इन हादसों के बाद भी नहीं खुलती।
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