India News (इंडिया न्यूज), Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। जानकारी के मुताबिक, राबड़ी देवी द्वारा मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। बता दें, यह मांग राजद द्वारा एनडीए के मजबूत गढ़ मिथिलांचल में सेंध लगाने की रणनीति के रूप में देखी जा रही है।

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2025 चुनाव से पहले एक मास्टरस्ट्रोक

बताया जा रहा है कि, राबड़ी देवी ने इस मांग को उठाकर 2025 चुनाव से पहले एक मास्टरस्ट्रोक खेला है। बता दें, यह कदम एनडीए के नेताओं को बैकफुट पर लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि एनडीए पहले ही मैथिली भाषा में संविधान की प्रस्तुति को लेकर अपनी उपलब्धि गिनाने में लगा हुआ था। दूसरी तरफ, कांग्रेस, जो राजद की सहयोगी पार्टी है, इस मुद्दे पर दूरी बनाती दिख रही है। ऐसे में, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खां ने कहा कि मिथिला की भाषा, संस्कृति और खान-पान अलग है, लेकिन इस पर अध्ययन की आवश्यकता है। इसके साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री दिलीप जायसवाल ने भी राबड़ी देवी की मांग को “राजनीतिक बयान” करार दिया।

एनडीए की प्रतिक्रिया का सभी को इंतजार

जानकारी के मुताबिक, मिथिलांचल की राजनीतिक महत्ता को देखते हुए यह मुद्दा बेहद अहम हो गया है। गंगा के उस पार स्थित मिथिलांचल में 12 लोकसभा और करीब 120 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से अधिकांश पर एनडीए का कब्जा है। 2020 विधानसभा चुनाव में मिथिला में पिछड़ने के कारण महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। देखा जाए तो, तेजस्वी यादव द्वारा मिथिलांचल विकास प्राधिकरण बनाने की घोषणा और राबड़ी देवी की इस मांग से राजद ने 2025 चुनाव के लिए अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। एनडीए की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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