India News (इंडिया न्यूज),Chirag Paswan: बिहार विधानसभा चुनाव अब कुछ ही समय में होने वाले हैं। ऐसे में बिहार की सियासत में उबाल आना शुरू हो गया है। वहीँ अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला देने वाला काम किया है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, चिराग अपने बयानों का डोज बढ़ाते जा रहे हैं। पहले उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और अब CM नीतीश कुमार को ही निशाने पर ले डाला। वहीँ चिराग ने अब मुजफ्फरपुर की दलित लड़की के मामले पर नीतीश सरकार को कटघरे में ला खड़ा कर दिया है।

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जानिए पूरा मामला

चिराग पासवान एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के लिए मुसीबत बनते नरज आ रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें, मुजफ्फरपुर जिले में 26 मई को 9 साल की दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। पीएमसीएच अस्पताल में लापरवाही के कारण उस दलित लड़की की 1 जून को मौत हो गई। उसे छह घंटे तक एंबुलेंस में तड़पना पड़ा. इस घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है।चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। चिराग ने कहा कि यह घटना सिर्फ एक लड़की की हत्या नहीं है। यह राज्य व्यवस्था की विफलता का भी सबूत है।

CM नीतीश को लिख डाली चिट्ठी

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने दलित लड़की के मामले पर सवाल उठाते हुए सीएम नीतीश कुमार को चिट्ठी लिख डाली। चिट्ठी में चिराग ने कहा है कि 26 मई को मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी नृशंस हत्या की घटना ने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया है। यह हृदय विदारक घटना न केवल एक मासूम की बर्बर हत्या है, बल्कि हमारे राज्य की कानून व्यवस्था, सामाजिक चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की पूरी तरह विफलता को भी उजागर करती है।

CM को दी चेतावनी

चिराग पासवान ने कहा कि मामला सामाजिक सिस्टम एवं राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी की विफलता का प्रतीक है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर इस पर शासन मौन रहा, तो यह मौन ही सबसे बड़ा अपराध बन जाएगा. साथ ही सीएम नीतीश से चिराग ने तीन मांग भी रखी। पहली रेपिस्टों को गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए। दूसरी मांग पीएमसीएच अस्पताल के प्रशासन, डाक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए। तीसरी मांग यह रही कि इलाज में जानबूझकर देरी और अमानवीय दिखाने वाले कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कर तुरंत निलंबित किया जाए।

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