India News (इंडिया न्यूज), CM Nitish Kumar: बिहार में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल ने एक नया आयाम स्थापित किया है। वर्ष 2005 में सत्ता संभालने के बाद से उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी को प्राथमिकता दी। बिहार सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जिनसे महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए।

महिलाओं को आरक्षण का लाभ

बिहार देश का पहला राज्य बना, जिसने पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू किया। यह व्यवस्था 2006 में पंचायती राज और 2007 में नगर निकाय चुनावों में लागू की गई। इससे महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। वर्तमान में, 8,442 पंचायतों में से लगभग 60% पंचायतों की मुखिया महिलाएं हैं।

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सरकारी नौकरियों में भी भागीदारी

महिलाओं ने न केवल पंचायतों में बल्कि सरकारी नौकरियों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। शिक्षकों और पुलिसकर्मियों के पदों पर बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं। महिलाओं के लिए विशेष कौशल विकास और स्वरोजगार कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायतों की स्थापना

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज विभाग ने हर जिले में एक ‘आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत’ की स्थापना की है। इन पंचायतों में महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सस्ती चिकित्सा सेवाएं, स्वरोजगार, और कानूनी सहायता जैसी योजनाएं लागू की गई हैं। हेल्पलाइन और परामर्श सेवाओं के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया गया है।

 

नीतीश कुमार की सोच और उद्देश्य

सीएम नीतीश कुमार का मानना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण से न केवल परिवार बल्कि समाज और देश का भी विकास होगा। महिलाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की उनकी पहल ने बिहार को एक नई दिशा दी है। बिहार का यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा बन गया है। महिला सशक्तिकरण की इस यात्रा ने राज्य की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल दी है।

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