इंडिया न्यूज, पटना।
Demand To Give Official Language Status To Bhojpuri : बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पड़ोसी राज्य झारखंड की सरकार के धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने के हालिया फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि उनकी सरकार भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की अपनी पुरानी मांग को फिर से उठाएगी ताकि इसे राजभाषा का दर्जा मिल सके।
2007 में भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की थी मांग
Demand To Give Official Language Status To Bhojpuri
सीएम नीतीश ने कहा कि हम कई सालों से भोजपुरी को राजभाषा का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर राज्य कैबिनेट ने इस संबंध में 2017 में केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा था। मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर दी है।
बिहार, यूपी और झारखंड में बोली जानेवाली भाषा है भोजपुरी
Demand To Give Official Language Status To Bhojpuri
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीएम ने कहा कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की ही नहीं बल्कि यह उत्तरप्रदेश और झारखंड में भी बोली जानेवाली भाषा है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी का बड़ा दायरा है और इसका अपना एक अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है।
उन्होंने आगे कहा कि अभी झारखंड में जो भी हुआ वो बहुत ही गलत हुआ है। नीतीश ने धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को वापस लेने के हालिया फैसले के लिए झारखंड सरकार की भी आलोचना की।
दोनों राज्यों की भाषाएं हैं भोजपुरी और मगही
उन्होंने कहा कि हम बार बार कह रहे हैं कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की ही भाषा नहीं है। बिहार और झारखंड विभाजन से पहले (2000 में) एक साथ थे। उन्होंने कहा कि भोजपुरी और मगही दोनों राज्यों की भाषाएं हैं और सीमावर्ती इलाकों में बोली जाती हैं। छत्तीसगढ़ में भी कई लोग यह भाषा बोलते हैं। झारखंड सरकार ने व्यापक विरोध के बीच शुक्रवार को भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से बाहर कर दिया। जिसका कड़ा विरोध सीएम नीतीश ने किया।
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