India News (इंडिया न्यूज), Hospital News: सासाराम के सदर अस्पताल परिसर में बने मातृ-शिशु अस्पताल की गुणवत्ता को लेकर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं। दो साल पहले 22 करोड़ की लागत से इस अस्पताल का निर्माण हुआ था, लेकिन अब इसकी दीवारों में दरारें उभरने लगी हैं। इन दरारों को पुट्टी लगाकर छुपाने की कोशिश की जा रही है, जबकि अस्पताल की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
कहां सामने आई गलतियां
संवेदक रमेश पाण्डेय के द्वारा किए गए इस निर्माण कार्य में तीन वर्षों तक मरम्मत का जिम्मा लिया गया था। उनका कहना है कि वे गुणवत्ता के साथ काम करेंगे और अस्पताल की मरम्मत करेंगे। हालांकि, निर्माण के बाद दीवारों में दरारें आना और अन्य कार्यों में खामियां यह संकेत देते हैं कि कार्य की गुणवत्ता में कहीं न कहीं चूक हुई है।
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इस मामले में एक और चिंता की बात यह है कि सदर अस्पताल के परिसर में अन्य भवनों के निर्माण में भी सुरक्षा गाइडलाइंस की अनदेखी की जा रही है। हाल ही में कई मजदूर दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं, और जब निर्माण स्थल पर कैमरे लगाए गए, तो कुछ समय के लिए काम रोक दिया गया, लेकिन तब तक बिना सुरक्षा के काम हो रहा था। यह दर्शाता है कि निर्माण कार्य में सुरक्षा और गुणवत्ता के मानकों की पूरी तरह से अनदेखी हो रही है।
निर्माण कार्यों पर उठे सवाल
सासाराम में जहां प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना होता है, वहां इस तरह की लापरवाही सवाल खड़ा करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किस प्रकार से निर्माण कार्यों में सुरक्षा और गुणवत्ता का पालन किया जा रहा है। यह पूरा मामला उस परत को खोलता है, जो यह दिखाता है कि सरकार और संवेदक के बीच समझौते के बावजूद भवन निर्माण कार्य में गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन कितनी गंभीरता से किया जा रहा है।