India News (इंडिया न्यूज), Nitish Cabinet Expansion:बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के ताजा मंत्रिमंडल विस्तार ने मिथिला और उत्तर बिहार को खास तरजीह दी है। 7 नए मंत्रियों में से तीन मिथिला क्षेत्र से और एक तिरहुत से आते हैं। यानी उत्तर बिहार से कुल 4 नेताओं को मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही मिथिला से मंत्रियों की संख्या 6 से बढ़कर 9 हो गई है, जबकि उत्तर बिहार में अब कुल 13 मंत्री हो गए हैं।

उत्तर बिहार को क्यों मिली इतनी अहमियत?

उत्तर बिहार की 71 विधानसभा सीटों में से 51 पर एनडीए का कब्जा है। ऐसे में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है। नीतीश मंत्रिमंडल के 36 में से अब 13 मंत्री उत्तर बिहार से हैं। अकेले दरभंगा से 4 मंत्री बने हैं, जबकि मधुबनी, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर से 2-2 तथा सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण से 1-1 मंत्री बनाए गए हैं।

जातीय समीकरण पर भी रखा गया खास ध्यान

बीजेपी कोटे से शपथ लेने वाले नए मंत्रियों में जातीय संतुलन को भी साधा गया है। नए मंत्रियों में—

संजय सरावगी (दरभंगा सदर) – वैश्य समुदाय से आते हैं और पहली बार मंत्री बने हैं।
जीबेश मिश्रा (जाले, दरभंगा) – भूमिहार जाति के हैं और पहले भी मंत्री रह चुके हैं।
मोतीलाल प्रसाद (रीगा, सीतामढ़ी) – वैश्य समुदाय से आते हैं और पहली बार मंत्री बने हैं।
राजू कुमार सिंह (साहेबगंज, मुजफ्फरपुर) – राजपूत समुदाय से हैं और 5 बार विधायक रह चुके हैं।

2025 चुनाव से पहले BJP की सीधी चाल

इस मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तर बिहार, विशेषकर मिथिला को विशेष प्राथमिकता देना बीजेपी की सोची-समझी रणनीति है। पार्टी मिथिला और तिरहुत में अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ ही वैश्य, भूमिहार और राजपूत वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। अब देखना होगा कि यह रणनीति 2025 के चुनाव में कितना असर डालती है।