India News (इंडिया न्यूज़) Bihar News: जिले के गिद्धौर के गुगुलडीह इलाके में ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक ही व्यक्ति का दो अलग-अलग तारीखों में डेथ सर्टिफिकेट बनाकर 2.05 लाख रुपये की सहायता राशि निकाली गई। जानकारी के मुताबिक, छेदलाही गांव के गुलो तांती की मौत 20 दिसंबर 2023 को हो गई थी। लेकिन उनका लेबर कार्ड नवीनीकृत नहीं होने की वजह से उनके परिवार को मुआवजा नहीं मिल सकता था। इसके बाद बिचौलियों ने गड़बड़ी करते हुए पहले लेबर कार्ड का नवीनीकरण कराया और फिर 9 फरवरी 2024 की तारीख से दूसरा डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया। मामले की गंभीरता तब बढ़ गई जब पता चला कि दूसरा डेथ सर्टिफिकेट फर्जी हो सकता है इसका QR कोड स्कैन करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि श्रम विभाग ने मुआवजा देने से पहले दस्तावेजों की गहन जांच क्यों नहीं की।

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विभागीय जांच शुरू

श्रम अधीक्षक रतीश कुमार ने बताया कि मुआवजे की प्रक्रिया में ऑनलाइन नवीनीकरण के कारण अधिकारियों की सीधी भूमिका नहीं रहती। हालांकि, डेथ सर्टिफिकेट और लाभार्थी के घर जाकर जांच की जाती है। इस मामले में दोषी पाए जाने वाले कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

क्या है फर्जीवाड़े का मकसद?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गड़बड़ी में विभागीय कर्मियों और बिचौलियों की मिलीभगत हो सकती है। मामले ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि जांच में क्या खुलासे होते हैं और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।

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