India News (इंडिया न्यूज़),Patna News: बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए “दरवाजे खुले हैं” बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इस बयान के बाद RJD और भाजपा नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। RJD सांसद सुधाकर सिंह ने भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर तीखा हमला बोला उन्होंने कहा कि सम्राट चौधरी को उनकी “अक्षमता” के कारण भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। सुधाकर सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा, “लालू यादव ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी कुशलता से लंबा समय गुजारा और पार्टी को शीर्ष पर पहुंचाया। लेकिन सम्राट चौधरी जैसे लोग, जो खुद अपनी पार्टी में भी असफल रहे, लालू यादव पर टिप्पणी करना हास्यास्पद है।”

भाजपा ने लालू यादव पर कसे तंज

इस बीच, भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने लालू यादव के बयान पर कहा, “नीतीश कुमार एनडीए के साथ हैं और रहेंगे हम उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे लालू यादव के ऑफर का कोई महत्व नहीं है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लालू यादव को अपनी पुरानी गलतियों के लिए पहले माफी मांगनी चाहिए।.

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मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ पर सियासत गर्म

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लालू यादव के बयान को “मुंगेरीलाल के हसीन सपने” बताया। इस पर राजद सांसद सुधाकर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, “भाजपा के ये नेता लालू यादव की तुलना में कहीं नहीं ठहरते। लालू जी ने सैकड़ों एमएलए, एमपी, मुख्यमंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री भी बनाए हैं।” राजद सांसद मीसा भारती ने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, “एनडीए को नीतीश कुमार का चेहरा दिखाकर वोट लेना है। सम्राट चौधरी के बयान पर उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को तो नीतीश कुमार ने ही स्थापित किया है, लेकिन सम्राट चौधरी को उनके पिता नहीं, बल्कि लालू यादव ने स्थापित किया था।”

नीतीश के लिए लालू का खुला ऑफर

लालू यादव ने अपने साक्षात्कार में नीतीश कुमार के लिए “दरवाजे खुले हैं” बयान देकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार को माफ कर देंगे और उनके साथ मिलकर एक बार फिर से काम करेंगे।” इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा, राजद और जदयू के बीच बयानबाजी के इस दौर ने राज्य की राजनीति को नई दिशा दे दी है। जहां एक ओर लालू यादव अपनी पुरानी दोस्ती की ओर इशारा कर रहे हैं, वहीं भाजपा अपने गठबंधन को मजबूत बताते हुए इसे खारिज कर रही है। अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार इस सियासी खेल में क्या रुख अपनाते हैं।

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