India News (इंडिया न्यूज),Tejashwi Yadav: बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से अहम रहा है, और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) इस पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहता है। तेजस्वी यादव की रणनीति भी इसी वोट बैंक को साधने की है। उनका फोकस इस बात पर है कि मुस्लिम मतदाता कहीं और न जाएं, भले ही हिंदू वोटर इधर-उधर हो जाएं। यही वजह है कि वे अपने सहयोगी कांग्रेस से भी मुस्लिम वोटों को बचाकर रखना चाहते हैं। उन्हें इस बात का अहसास है कि अगर एक बार मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुआ, तो बिहार में उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर हो सकती है।
राजद का मजबूत आधार मुस्लिम वोटर
बिहार में राजद का परंपरागत वोट बैंक मुस्लिम और यादव समुदाय से जुड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि यादवों से भी ज्यादा संख्या में मुस्लिम मतदाता राजद के साथ हैं। यही कारण है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव इस वोट बैंक को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। वे मुस्लिम हितों से जुड़े मुद्दों पर सतर्क रहते हैं और कई बार एकतरफा फैसले लेने से भी पीछे नहीं हटते। हाल ही में तिलक और टोपी विवाद ने भी इसी राजनीति को उजागर किया।
तिलक और टोपी विवाद ने बढ़ाई सियासी गर्मी
हाल ही में तेजस्वी यादव पर आरोप लगे कि उन्होंने दिन में पूजा के दौरान तिलक लगाया था, लेकिन इफ्तार पार्टी में शामिल होने से पहले तिलक मिटाकर टोपी पहन ली। हालांकि, इस तरह के विवाद राजद के लिए नुकसानदेह नहीं होते, बल्कि मुस्लिम समुदाय के बीच उनकी पकड़ को और मजबूत करते हैं। हालांकि, इससे यह भी साफ होता है कि राजद का समर्थन यादव और मुस्लिम मतदाताओं तक सीमित हो रहा है, जबकि अन्य समुदायों का रुझान उनसे कम होता जा रहा है।
नीतीश की इफ्तार पार्टी और बहिष्कार की राजनीति
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी भी राजनीतिक विवादों में घिर गई थी। कुछ इस्लामिक संगठनों ने वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन के चलते इफ्तार का बहिष्कार कर दिया। इस पर राजद ने भी सुर में सुर मिलाया और नीतीश के खिलाफ खड़ा हो गया। साफ है कि राजद इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।
तेजस्वी की बयानबाजी और मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप
तेजस्वी यादव के हाल के बयानों पर नजर डालें, तो यह साफ दिखता है कि वे मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने जब कहा था कि मुसलमानों को होली के दिन घर में रहना चाहिए, तो तेजस्वी यादव ने इस पर कड़ा विरोध जताया। साथ ही, उन्होंने बयान दिया कि एक मुसलमान भाई की रक्षा पांच हिंदू करेंगे। उनके इस बयान को लेकर भी सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हैं।
क्या हिंदू वोटों की परवाह नहीं?
तेजस्वी यादव की इस रणनीति से यह सवाल उठता है कि क्या वे केवल मुस्लिम मतदाताओं को साधने में जुटे हैं और हिंदू वोटों को लेकर बेपरवाह हैं? बिहार की राजनीति में ऐसे सवाल पहले भी उठते रहे हैं, लेकिन तेजस्वी की स्पष्ट रणनीति दिखाती है कि उनका पहला लक्ष्य मुस्लिम वोटों को किसी भी कीमत पर एकजुट रखना है। इसका असर आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है।