India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 28 जनवरी की रात हुई भगदड़ में बिहार के 11 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। हादसे के बाद वहां से सुरक्षित लौटने वाली महिलाएं अब भी उस भयावह मंजर को याद कर सिहर उठती हैं। उनका कहना है कि अब वे दोबारा कभी कुंभ नहीं जाएंगी।
“समझिए पुनर्जन्म मिला है”- पीड़िता
गोपालगंज की सविता देवी किसी तरह बचकर घर लौटीं। उनके बेटे का कहना है कि उनकी मां ने जैसे मौत को छूकर वापसी की है। “अब मैं कभी उन्हें मेले में नहीं जाने दूंगा,” उन्होंने रोते हुए कहा। पटना के मनेर की सिया देवी की कुंभ में भगदड़ के दौरान मौत हो गई। उनकी बहू रिंकू जो उनके साथ थीं, अब भी सदमे में हैं। रिंकू ने बताया, “हम संगम स्नान के लिए जा रहे थे, तभी अचानक भीड़ बेकाबू हो गई। मैं किसी तरह बाहर निकल आई, लेकिन मेरी सास वहीं दबकर दम तोड़ चुकी थीं। यह मेरी पहली और आखिरी यात्रा थी, अब कभी कुंभ नहीं जाऊंगी।”
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महिलाओं ने बताया अपना दुःख
70 वर्षीय जानकी देवी का पूरा शरीर जख्मों से भरा है। गांव की महिलाएं उन्हें सांत्वना देने आ रही हैं, लेकिन उनका दर्द कम नहीं हो रहा। “भगदड़ में जब मैं गिरी तो लोग मेरे ऊपर चढ़कर भाग रहे थे। अब भी हल्का सा हिलने पर भी असहनीय दर्द होता है,” उन्होंने बताया। अनीता देवी, सविता देवी और चंद्रा देवी भी इस हादसे का हिस्सा बनीं। अनीता देवी ने कहा, “लोग कहते हैं कि कुंभ स्नान से मोक्ष मिलता है, इसलिए हम भी गए थे, लेकिन वहां मौत से सामना हो गया।” सविता देवी के बेटे ने कहा कि उनकी मां अब भी डरी हुई हैं। “वो अचानक सिहर जाती हैं, रोने लगती हैं। लगता है जैसे मानसिक रूप से बहुत गहरा असर पड़ा है।”
“ऐसा लगा लाशों पर दौड़ रहे हैं”
चंद्रा देवी ने बताया, “वहां ऐसा लग रहा था जैसे लोग लाशों के ऊपर दौड़ रहे हों। जिसे मौका मिल रहा था, वह कमजोर को कुचलकर आगे बढ़ रहा था।” उन्होंने सरकार और प्रशासन की अव्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि इतनी बड़ी भीड़ के नियंत्रण के लिए बेहतर प्रबंधन किया जाना चाहिए था।