India News (इंडिया न्यूज),  India Spy Ravinder kaushik : ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही भारत में बढ़ी तेजी से ISI के जासूस पकड़े जा रहे हैं। इस कड़ी में सबसे पहला नाम ज्योति मल्होत्रा का है। उस पर आरोप है कि उसने भारत की खुफिया जानकरी पाकिस्तान तक पहुंचाई है। फिलहाल ज्योति पुलिस हिरासत में है और देश की सुरक्षा एजेंसियां उससे पुछताछ कर रही हैं। इस मामले के सामने आने के बाद से देश में जासूसों और उनके नेटवर्क का खुलासा हुआ है।

लेकिन क्या आपको पता है कि पाकिस्तान में भी भारत का एक ऐसा जासूस था, जिसने पूरे पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया और जब तक वो रहा तब तक भारत हमेशा पाक से आगे रहा है। यहां पर हम रॉ के लिए अंडरकवर एजेंट रविंदर कौशिक की बात कर रहे हैं।

भारत के सबसे बेहतरीन जासूस

कौशिक को पाकिस्तान सेना में अब तक का सबसे बेहतरीन जासूस माना जाता है। कौशिक को किशोरावस्था में थिएटर और किरदार निभाना बहुत पसंद था और इसी तरह रॉ ने उन्हें पहचाना। ऐसा कहा जाता है कि कौशिक ने अपनी ट्रेनिंग के दौरान उर्दू सीखी, मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों और पाकिस्तान के इलाकों से खुद को परिचित किया।

पाकिस्तान में नई पहचान

उन्हें एक नए नाम- नबी अहमद शाकिर के साथ पाकिस्तान भेजा गया, जबकि भारत में उनके सभी रिकॉर्ड नष्ट कर दिए गए थे। बाद में उन्होंने कराची विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और पाकिस्तानी सेना में शामिल होकर कमीशन अधिकारी बन गए। आखिरकार, उन्हें मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया। निजी जीवन की बात करें तो शाकिर ने अमानत नाम की लड़की से शादी की और एक लड़की के पिता बने।

पीएम इंदिरा गांधी ने दिया था नाम, ब्लैक टाइगर

1979 से 1983 तक उन्होंने भारतीय रक्षा बलों को महत्वपूर्ण जानकारी दी, जो बहुत मददगार साबित हुई। नबी अहमद द्वारा भेजी गई बहुमूल्य जानकारी के कारण वे भारतीय रक्षा हलकों में ‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए, यह नाम तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुद दिया था।

दुखद अंत

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें तब पकड़ा गया जब रॉ द्वारा उनसे संपर्क करने के लिए भेजे गए इनायत मसीहा ने सितंबर 1983 में पूछताछ के दौरान अनजाने में पाकिस्तानी सेना के सामने अपना भेद खोल दिया। उन्हें जासूसी के लिए 1985 में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में सजा घटाकर आजीवन कारावास कर दी गई।

कौशिक को सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में दो साल तक प्रताड़ित किया गया, फिर 16 साल के लिए मियांवाली जेल में बंद कर दिया गया और मरने के लिए छोड़ दिया गया। नवंबर 2001 में, कौशिक टीबी और हृदय रोग से पीड़ित हो गए और न्यू सेंट्रल मुल्तान जेल में उनकी मृत्यु हो गई। फिर उन्हें उसी जेल के पीछे दफनाया गया।

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