India News (इंडिया न्यूज), Dushyant Chautala on BJP : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल के सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला का शुक्रवार (20 दिसंबर) को निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, 93 वर्षीय चौटाला ने गुरुग्राम स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन से देश में शोक की लहर है। हरियाणा की राजनीति में ओमप्रकाश चौटाला का बड़ा नाम रहा है। वो चार बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। ओमप्रकाश चौटाला का राजनीतिक जीवन संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा। वे अपने कुशल नेतृत्व और हरियाणा के विकास में योगदान के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनका निधन हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य के लिए एक बड़ी क्षति है। फिलहाल, उनके निधन के बाद उनके समर्थकों और राजनीतिक सहयोगियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

प्रदेश भर में शोक सभाएं आयोजित की जा रही हैं। ओमप्रकाश चौटाला का राजनीतिक और सामाजिक योगदान हरियाणा की जनता के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा। ओमप्रकाश चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला भी बीजेपी के साथ मिलकर राज्य की सत्ता चला चुके हैं, उस वक्त वो राज्य के डीप्टी सीएम थे। लेकिन किसान आंदोलन की वजह से उन्होंने बीजेपी से दूरी बना ली।

हरियाणा Om Prakash Chautala Death: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का हुआ निधन! राजनीति में शोक की लहर

‘बीजेपी के साथ खड़े रहना मेरे जीवन की एक बड़ी गलती’

हरियाणा में चुनावों से पहले दुष्यंत चौटाला ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में बीजेपी के साथ खड़े रहना मेरे जीवन की एक बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा था कि, राजनीति के अंदर विचारधाराएं जुड़ती हैं और जब ये जुड़ती हैं तो बदलाव भी आता है। हमने हरियाणा में निवेश लाने का काम किया है। हमने यहां परिवर्तन लाने का काम किया है। हमने कहा था कि एमएसपी पर आंच आएगी तो हम सरकार छोड़ देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है।

कई विवादों में फस चुके हैं ओमप्रकाश चौटाला

चौटाला को 1978 में दिल्ली हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने हिरासत में लिया था। उनके पास दर्जनों कलाई घड़ियाँ थीं, जिनकी कीमत 1 लाख रुपये थी। 1988 में सिरसा स्थित अपने फार्महाउस में उनकी छोटी बहू सुप्रिया की रहस्यमयी मौत और फरवरी 1990 में महम उपचुनाव में 10 लोगों की हत्या। इस मामले में चुनाव आयोग ने दो बार महम उपचुनाव रद्द किया, जिससे चौटाला को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि 1989 में वीपी सिंह सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त होने के बाद जब उन्होंने अपने पिता देवीलाल की जगह ली, तब वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे।

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