India News (इंडिया न्यूज), America Recession: आने वाले दिनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका गहराती जा रही है, जबकि भारत तेजी से तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है। एक तरफ जहां अमेरिका में आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ भारत में मजबूत मांग और बेहतर नीतियों के दम पर अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है। लेकिन इस बीच टैरिफ वॉर और महंगाई जैसे मुद्दे दोनों देशों के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था की बात करें तो कोविड-19 के बाद यह तेजी से उभरी थी। लेकिन अब इसकी सुस्ती को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह तेजी किसी खास नीतिगत बढ़ोतरी का नतीजा थी जो अब कमजोर पड़ने लगी है।
अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ कम रहने की उम्मीद
अनुमान के मुताबिक 2025 में अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ ढाई फीसदी से भी कम रहने की उम्मीद है। इसकी वजह निर्यात और खपत में कमी के संकेत हैं। इसके साथ ही अमेरिका में वैल्यू ऐड का ट्रेंड भी कम हो रहा है। अमेरिका में बचत और जीडीपी का अनुपात 2011 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, इस गिरावट के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। इनमें से पहला है टैरिफ वॉर, जिसके कारण अमेरिका में आयात महंगा होता जा रहा है और वहां लोगों को रोजमर्रा की चीजों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है, यानी महंगाई बढ़ रही है जिससे लोगों की क्रय शक्ति कम हो रही है।
कंपनियों का उत्पादन हो रहा प्रभावित
दूसरी वजह बताई जा रही है कि कच्चे माल के महंगे होने से वहां की कंपनियों का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अगर यह टैरिफ वॉर बढ़ता है तो अमेरिका में मंदी का खतरा गहरा सकता है। वहीं, भारत की कहानी बिल्कुल अलग है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में गिना जा रहा है। अनुमान है कि इस साल भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.4 से 6.6 फीसदी रह सकती है। क्योंकि भारत में घरेलू मांग और निवेश मजबूत बना हुआ है। इतना ही नहीं, टैरिफ वॉर के बीच भारत को निर्यात बढ़ाने का मौका मिलने की संभावना है।
क्या होगा अमेरिका में मंदी का असर?
भारत में यह वृद्धि मजबूत घरेलू मांग, सरकारी नीतियों और मध्यम वर्ग की बढ़ती ताकत की वजह से है। हालांकि, भारत में भी चुनौतियां कम नहीं हैं, क्योंकि अगर अमेरिका में मंदी आती है तो भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है। खास तौर पर मांग में कमी की वजह से फार्मा, टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। टैरिफ वॉर की वजह से वैश्विक व्यापार में बाधाएं बढ़ सकती हैं, जिससे कच्चे माल की कीमतें और महंगाई बढ़ सकती है। अमेरिकी मंदी की वजह से भारत के निर्यात में 5 से 7 फीसदी की कमी आने की आशंका है।
हालांकि, इन ब्रेकर्स के बावजूद भारत के पास ग्रोथ के मौके भी हैं। जहां अमेरिका और चीन जैसे देश टैरिफ वॉर में उलझे हुए हैं, वहीं भारत दूसरे देशों के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। ऐसे में अगर सरकार टैरिफ घटाने और निवेश बढ़ाने की योजना बनाने जैसे सही कदम उठाती है तो अनिश्चितता के इस दौर में भी भारत मजबूत स्थिति में रह सकता है।