India News (इंडिया न्यूज), International Womens Day: महिलाएं आज के समय में आगे बढ़ रही हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। वे घर, परिवार, ऑफिस और रिश्ते-नाते सब कुछ बखूबी निभा रही हैं। आज की महिलाएं लाचार और कमजोर नहीं हैं बल्कि अपने पैरों पर खड़ी हैं और हर वो काम करने में सक्षम हैं जो पुरुष कर सकते हैं। वे ऑफिस जा रही हैं, व्यापार कर रही हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। आज के समय में विश्व अर्थव्यवस्था के लिए कार्यबल में महिलाओं की पर्याप्त भागीदारी देखी जा रही है। भारत ने हाल के वर्षों में इस मामले में प्रगति की है। वहीं, विश्व अर्थव्यवस्था में भी महिलाओं की भागीदारी है।
भागीदारी पुरुषों के मुकाबले काफी कम
यूएन वूमेन की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर विश्व अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले काफी कम है। महिला श्रम शक्ति की भागीदारी दर 50% है, जबकि पुरुषों की भागीदारी 80% है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि दुनिया की आर्थिक गतिविधियों में लैंगिक अंतर काफी है। भारत की बात करें तो पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2022-23 में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 37 प्रतिशत रही, जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा केवल 23 प्रतिशत था।
चीन सबसे आगे
चीन की बात करें तो मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट ने 2018 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान 18 प्रतिशत रहा, जबकि चीन में यह 41 प्रतिशत रहा। अन्य देशों की बात करें तो वियतनाम में अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान 40 प्रतिशत, जापान में 33 प्रतिशत और श्रीलंका में 29 प्रतिशत रहा है।
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बार्कलेज की एक रिपोर्ट बताती है कि अगर भारत को 8 प्रतिशत की दर से आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य हासिल करना है, तो कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। 8 प्रतिशत वृद्धि के लिए 2030 तक कार्यबल में 50 प्रतिशत महिलाएं होनी चाहिए। इस लिहाज से 37 प्रतिशत की भागीदारी अभी भी कम है।