India News (इंडिया न्यूज), US Tariffs Affect Indian Share Market : अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रंप ने दुनिया के कई देशों के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ रखा है। इसमें भारत भी शामिल है। इसी कड़ी में ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत पर 27 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ लगाया है। इसके बाद कई देशों के शेयर बाजार में खलबली मच गई। भारत में तो हाल ये हुआ कि केवल 10 सेकंड के अंदर शेयर निवेशकों को 1.93 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ। बीएसई बाजार पूंजीकरण के अनुसार, निवेशकों की संपत्ति बुधवार को 4,12,98,095 रुपये से 1,93,170 करोड़ रुपये घटकर 4,11,04,925 करोड़ रुपये रह गई।

लेकिन अगर हम एशियाई प्रतिस्पर्धियों की बात करें तो भारत का प्रदर्शन उनसे बेहतर रहा। इसके पीछे की वजह नए टैरिफ की श्रृंखला, जिसे सामूहिक रूप से लिबरेशन डे टैरिफ कहा जाता है, ने फार्मा शेयरों को छूट दी। उन्होंने स्टील और एल्युमीनियम पर किसी भी अतिरिक्त टैरिफ को भी बाहर रखा और ऑटो और ऑटो कंपोनेंट आयात को भी।

सरकार आई एक्शन में

ट्रंप द्वारा भारत से आयात पर 27 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ लगाए जाने के बाद मोदी सरकार हरकत में आ गई है। गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्रंप के टैरिफ आदेश का आकलन करने के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने इस उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में वाणिज्य मंत्रालय, नीति आयोग, डीपीआईआईटी और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी पीएमओ को जानकारी दी है।

टैरिफ लगाए जाने के फैसले पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 27 प्रतिशत शुल्क पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्क वृद्धि के प्रभावों का आकलन कर रहा है।

फैसले पर अमेरिका ने क्या कहा?

व्हाइट हाउस ने कहा कि भारत ने अनोखी बोझिल गैर-टैरिफ बाधाएं लगाई हैं, जिन्हें हटाने से अमेरिकी निर्यात में सालाना कम से कम 5.3 बिलियन डॉलर की वृद्धि होगी। बयान में कहा गया है कि टैरिफ तब तक प्रभावी रहेंगे जब तक ट्रम्प यह निर्धारित नहीं कर लेते कि व्यापार घाटे और अंतर्निहित गैर-पारस्परिक उपचार से उत्पन्न खतरा संतुष्ट, हल या कम हो गया है। अमेरिका का भारत के साथ 46 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है।

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