India News (इंडिया न्यूज), CG Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय ED की कार्रवाई पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को हिरासत में रखने को लेकर ईडी की खिंचाई की। जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, “आप किस तरह का सिग्नल दे रहे हैं? एक व्यक्ति 8 अगस्त, 2024 से हिरासत में है, लेकिन आज तक उसके खिलाफ संज्ञान लेने वाली अदालत का कोई आदेश नहीं आया है। फिर भी वह जेल में है।”

हाईकोर्ट का आदेश

अरुण पति त्रिपाठी को 8 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए थे। ईडी ने 5 अक्टूबर, 2024 को पीएमएलए की विशेष अदालत में त्रिपाठी और अन्य के खिलाफ शिकायत दाखिल की, जिसमें राज्य में शराब की बिक्री में 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनियमितताओं का आरोप था। त्रिपाठी ने विशेष अदालत के इस आदेश को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ शिकायत का संज्ञान लेने से पहले जरूरी मंजूरी नहीं ली गई थी। हाईकोर्ट ने 7 फरवरी, 2025 को अपने आदेश में त्रिपाठी की हिरासत को अवैध करार दिया और संज्ञान लेने के आदेश को रद्द कर दिया।

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सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दिए बिना त्रिपाठी को इतने लंबे समय तक हिरासत में रखना गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि त्रिपाठी भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी हैं और जब वे छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में प्रतिनियुक्ति पर थे, उस दौरान के कृत्य को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

CRPC की धारा

अदालत ने स्पष्ट किया कि CRPC की धारा 197 के तहत सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी जरूरी होती है। इस मामले में ईडी ने यह मंजूरी नहीं ली, जिसके चलते त्रिपाठी की हिरासत को अवैध माना गया। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को आगे से ऐसी लापरवाही न बरतने की हिदायत दी।

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