India News (इंडिया न्यूज),CG News: जिले के ग्राम अचरीतपाली की रहने वाली 11वीं कक्षा की छात्रा आरुषि चौहान ने सोमवार सुबह एक चौंकाने वाला कदम उठाया। वह अपने मामा के घर देवरघटा में रहकर पढ़ाई कर रही थी आरुषि ने अपने गांव के पास स्थित भोले बाबा के मंदिर में अपनी जीभ काटकर भगवान को अर्पित कर दी। इसके बाद उसने मंदिर का दरवाजा बंद कर खुद को साधना में लीन कर लिया इसके बाद मंदिर परिसर में खून फैला हुआ पाया गया। मंदिर में खुद को बंद करने से पहले आरुषि ने दो पन्नों का एक नोट बाहर छोड़ा। नोट में उसने लिखा, “किसी की आवाज नहीं आनी चाहिए, गाड़ी या इंसान की बिल्कुल भी आवाज नहीं होनी चाहिए। अगर मैं उठ गई, तो सबकी मौत हो जाएगी, चाहे मेरे पापा हों, मम्मी हों या कोई अधिकारी।”

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मां-बाप ने बेटी को अस्पताल ले जाने से रोका 

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया और मंदिर को घेर लिया। यहां तक कि छात्रा के माता-पिता ने भी उसे अस्पताल ले जाने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि उनकी बेटी स्वस्थ है और यह उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है। SDOP सुमित गुप्ता ने बताया कि छात्रा और उसके माता-पिता को समझाने की हरसंभव कोशिश की गई, लेकिन परिवार नहीं माना। एहतियात के तौर पर डॉक्टरों की टीम और 108 एंबुलेंस को मौके पर तैनात कर दिया गया है। यह घटना समाज में व्याप्त अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता की गंभीरता को उजागर करती है। ऐसी घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि शिक्षा और जागरूकता के बावजूद अंधविश्वास का प्रभाव आज भी बना हुआ है। समाज को जागरूक बनाना और बच्चों को उचित शिक्षा व संवाद देना अत्यंत जरूरी है।

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