India News (इंडिया न्यूज), Nexus of Good Award: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ जिले के डीएफओ मनीष कश्यप को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में ‘नेक्सस ऑफ गुड’ फाउंडेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें “महुआ बचाओ अभियान” के सफल संचालन के लिए प्रदान किया गया। कार्यक्रम में देशभर से 120 एनजीओ और अधिकारियों ने अपने अभिनव प्रयास प्रस्तुत किए, जिनमें से 22 को चयनित कर सम्मानित किया गया।

महुआ बचाओ अभियान की शुरुआत और उद्देश्य

पेड़ आदिवासी समुदाय के लिए आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। महुआ का फूल, बीज, पत्ते और छाल का उपयोग आदिवासी जीवन का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन हाल के वर्षों में महुआ के उत्पादन में कमी और नए पेड़ों की कमी चिंता का विषय बन गई है। जंगलों के बाहर ग्रामीण इलाकों में महुआ के पुराने पेड़ तो दिखते हैं, लेकिन छोटे और मध्यम आयु के पेड़ों की संख्या बेहद कम है।

“महुआ बचाओ अभियान”

ग्रामीण महुआ संग्रहण से पहले जमीन साफ करने के लिए आग लगा देते हैं, जिससे नए पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, ग्रामीण महुआ के बीज पूरी तरह संग्रहित कर लेते हैं, जिससे पुनरुत्पादन रुक जाता है। इस समस्या को हल करने और महुआ की घटती संख्या को रोकने के लिए “महुआ बचाओ अभियान” की शुरुआत की गई।

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महुआ के पौधे लगाए

अभियान के तहत अब तक 47 गांवों में 30,000 महुआ के पौधे लगाए गए हैं। लगभग 4,500 ग्रामीणों को ट्री गार्ड के साथ पौधे दिए गए, जिससे उन्हें संरक्षण में काफी उत्साह दिखा। महुआ का पेड़ 10 साल में परिपक्व हो जाता है, और एक पेड़ से औसतन 2 क्विंटल फूल और 50 किलो बीज प्राप्त होता है, जो ग्रामीणों की आय में बढ़ोतरी करता है। डीएफओ मनीष कश्यप की यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है। महुआ बचाने की इस कोशिश ने न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया, बल्कि आदिवासी समाज की आजीविका को भी नया जीवन दिया है।

महुआ के महत्व और संरक्षण की पहल

यह पेड़ आदिवासी जीवन का आर्थिक स्रोत होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। यह सॉइल इरोशन को कम करता है और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। महुआ बचाओ अभियान के जरिए न केवल नए पेड़ लगाए जा रहे हैं, बल्कि इसके संरक्षण और पुनरुत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है।

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