India News (इंडिया न्यूज), CG News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सोमवार को हुए माओवादी विस्फोट में शहीद हुए 8 सुरक्षाकर्मियों में से 5 सुरक्षाकर्मी कभी नक्सली थे जिन्होंने आत्मसमर्पण कर पुलिस बल में शामिल होकर देश की रक्षा का संकल्प लिया था। यह जानकारी बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने मंगलवार को दी।
आत्मसमर्पण कर बने थे ‘माटी पुत्र’
शहीद सुरक्षाकर्मियों में से हेड कांस्टेबल बुधराम कोरसा और कांस्टेबल डूम्मा मरकाम, पंडरू राम, बामन सोढ़ी, तथा बस्तर फाइटर्स के कांस्टेबल सोमडू वेट्टी ने पहले नक्सलियों के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई थी। आत्मसमर्पण के बाद ये डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) और बस्तर फाइटर्स के जरिए नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बने। कोरसा और सोढ़ी बीजापुर जिले के निवासी थे, जबकि अन्य तीन दंतेवाड़ा जिले से थे।
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नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों के काफिले को बनाया निशाना
सोमवार को बीजापुर जिले के कुटरू थाना क्षेत्र के अंबेली गांव के पास नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों के काफिले को निशाना बनाया। बारूदी सुरंग विस्फोट से एक वाहन को उड़ा दिया गया जिसमें 8 सुरक्षाकर्मी और एक वाहन चालक शहीद हो गए। यह घटना पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर किया गया सबसे बड़ा हमला है।
बस्तर में बढ़ते आत्मसमर्पण
पुलिस के मुताबिक, पिछले साल बस्तर के सात जिलों में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। डीआरजी कर्मियों की भर्ती उन्हीं स्थानीय युवाओं और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से की जाती है, जो नक्सलवाद को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला करते हैं। DRG का गठन सबसे पहले 2008 में कांकेर और नारायणपुर में हुआ था। बाद में इसे 2013 में बीजापुर और बस्तर, 2014 में सुकमा और कोंडागांव, और 2015 में दंतेवाड़ा में विस्तारित किया गया। वहीं, ‘बस्तर फाइटर्स’ इकाई का गठन 2022 में हुआ, जिसमें स्थानीय युवाओं को शामिल किया गया।
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