India News Delhi (इंडिया न्यूज़), 1984 Sikh riots case: कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की सजा पर कोर्ट में बहस के लिए सुनवाई 21 फरवरी को तय की है। कोर्ट यह निर्णय करेगी कि सज्जन कुमार को फांसी दी जाए या उम्रकैद। सज्जन कुमार पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में एक पिता-पुत्र की हत्या का आरोप है। इस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट की जज कावेरी बावेजा के सामने सजा पर बहस की जाएगी।
क्या है मामला?
1984 के सिख विरोधी दंगे तब भड़क उठे थे, जब 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी। दंगों के दौरान कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर यह आरोप लगा कि उन्होंने दंगाई भीड़ को उकसाया, जिसके बाद जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह को जिंदा जला दिया गया। इस हत्याकांड में सज्जन कुमार मुख्य आरोपी हैं। दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में 1 नवंबर 1984 को हुई इस हत्या का मामला अदालत में चल रहा है।
आरोप और सजा की मांग
कोर्ट ने इस मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में आरोप तय किए थे। इनमें हत्या (धारा 302), दंगा (धारा 147, 148), और गैर इरादतन हत्या का प्रयास (धारा 308) जैसी धाराएं शामिल हैं। अभियोजन पक्ष ने सज्जन कुमार के लिए फांसी की सजा की मांग की है। वहीं, सज्जन कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया था और उन्होंने कहा था कि वह निर्दोष हैं।
एसआईटी ने खोला मामला
दिल्ली पुलिस ने इस मामले को पहले बंद कर दिया था, लेकिन 2015 में केंद्र सरकार के द्वारा गठित की गई एसआईटी ने फिर से केस की जांच शुरू की। एसआईटी ने आरोप लगाया कि सज्जन कुमार ने ही दंगाई भीड़ का नेतृत्व किया और उनके उकसाने पर ही जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या की गई। एसआईटी ने यह भी दावा किया कि सज्जन कुमार के उकसाने पर न सिर्फ इन दोनों की हत्या की गई, बल्कि उनका घर भी जलाया गया और परिवार के अन्य सदस्य और रिश्तेदार भी गंभीर रूप से घायल हुए।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
अब कोर्ट में सज्जन कुमार की सजा पर बहस होगी। यह सुनवाई इस बात का निर्धारण करेगी कि सज्जन कुमार को किस प्रकार की सजा दी जाए। यह फैसला इस मामले में एक ऐतिहासिक मोड़ ला सकता है, खासकर उस समय जब देश 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
सीएम ने जताई उम्मीद, हार की हताशा से परेशान विपक्ष सदन पर नहीं उतारेगा खुन्नस