India News Delhi (इंडिया न्यूज़), AAP: अरविंद केजरीवाल ने 2021 में दिल्लीवासियों से वादा किया था कि 2025 तक यमुना नदी को पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा। इसके लिए उन्होंने कई योजनाओं का ऐलान किया था, जिनमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का अपग्रेडेशन, नालों का ट्रीटमेंट और औद्योगिक कचरे पर नियंत्रण शामिल थे। उनका दावा था कि 2025 के बाद लोग यमुना में डुबकी लगा सकेंगे, लेकिन अब तक किसी भी योजना का परिणाम दिखाई नहीं दे रहा है। नतीजतन, दिल्लीवासियों का विश्वास इस वादे पर कमजोर हुआ है और यमुना की बढ़ती गंदगी के कारण उनके बीच आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
केजरीवाल की हार के कारणों में यमुना प्रदूषण भी प्रमुख
8 फरवरी को हुए चुनावी परिणामों में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को बुरी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी ने दिल्ली में वापसी की, जबकि केजरीवाल पहली बार विपक्षी खेमे में बैठने को मजबूर हुए। उनके और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं की हार के कारणों में कई मुद्दे सामने आए, जिनमें भ्रष्टाचार के आरोप, दूषित हवा, एंटी-इनकंबेंसी और जनता की मूलभूत सुविधाओं की शिकायतें शामिल हैं। इनमें से एक अहम कारण यमुना का प्रदूषण भी रहा है।
यमुना की सफाई में विफलता
अरविंद केजरीवाल के लिए यमुना सफाई का मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक विषय बन गया है। उन्होंने पहले दिल्लीवासियों से यह वादा किया था कि यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। हालांकि, इसके बावजूद नदी में प्रदूषण कम होने की बजाय बढ़ता ही गया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विफलता दिल्लीवासियों का विश्वास घटाने का कारण बनी और चुनावी नतीजों में उनकी हार का एक अहम कारण साबित हुई।
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