India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Bhagat Singh Statue: दिल्ली में शहीद भगत सिंह और डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। विवाद की जड़ मालवीय नगर स्थित शहीद भगत सिंह पार्क में लगी भगत सिंह की टूटी प्रतिमा है, जो कई वर्षों से क्षतिग्रस्त अवस्था में है।
BJP का AAP पर तीखा हमला
बीजेपी के विधायक सतीश उपाध्याय ने इस मुद्दे को उठाते हुए आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से पिछले दस वर्षों से AAP के विधायक हैं, लेकिन उन्होंने इस पार्क की स्थिति सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि AAP सरकार केवल बयानबाजी में लगी रहती है, लेकिन वास्तविक काम करने में विफल रही है। मौके पर पहुंचे सतीश उपाध्याय ने अधिकारियों को भगत सिंह की प्रतिमा को जल्द ठीक कराने का आदेश दिया।
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भगत सिंह की टूटी मूर्ती का उठाया मुद्दा
AAP ने इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भगत सिंह और अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाली बीजेपी ने मुख्यमंत्री कार्यालय से इन महापुरुषों की तस्वीरें हटा दी हैं। आप नेताओं का कहना है कि बीजेपी को भगत सिंह और अंबेडकर की मूर्तियों से ज्यादा उनकी विचारधारा को अपनाने पर जोर देना चाहिए। उनका मानना है कि विचारधारा को लागू करके ही असली सम्मान दिया जा सकता है, न कि केवल मूर्तियों के रखरखाव से।
भगत सिंह कौन थे
भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब में हुआ था। वे अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन का हिस्सा बने और 1928 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे.पी. सांडर्स की हत्या कर दी। 1929 में उन्होंने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका और गिरफ्तारी दी। 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई। आज भी भगत सिंह को भारत के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में गिना जाता है।
बीजेपी ने कही ये बात
राजनीतिक विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है। बीजेपी का कहना है कि वह भगत सिंह का पूरा सम्मान करती है और उनकी प्रतिमा की मरम्मत कराएगी। वहीं, आप का कहना है कि बीजेपी केवल दिखावा कर रही है और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। शहीद भगत सिंह की प्रतिमा को जल्द ठीक करने का आदेश दे दिया गया है। हालांकि, इस मुद्दे पर राजनीति अभी और तेज होने की संभावना है। दिल्ली की राजनीति में भगत सिंह और अंबेडकर के नाम पर यह जंग कितनी लंबी चलेगी, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।