India News (इंडिया न्यूज)CAG Report: दिल्ली की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। इस बार मुद्दा है CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट। जिसे लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आमने-सामने हैं। विधानसभा में जब यह रिपोर्ट पेश की गई तो सदन में हंगामा हो गया। भाजपा ने आरोप लगाया कि आप सरकार ने जानबूझकर इस रिपोर्ट को दबाया ताकि इसमें दर्ज वित्तीय अनियमितताओं को छिपाया जा सके। जवाब में आप ने भाजपा पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया। इस हंगामे के बीच कई विधायकों को सदन से बाहर निकाल दिया गया, जिससे विवाद और भी गहरा गया है।

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क्या होती CAG रिपोर्ट ?

CAG यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक भारत का शीर्ष सरकारी लेखा परीक्षक है। यह सरकार के खर्च और आय की जाँच करता है। इसका मुख्य काम यह देखना है कि सरकार द्वारा खर्च किया गया पैसा सही तरीके से खर्च हुआ या नहीं। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि सरकार की योजनाएँ कितनी कारगर रहीं और उनमें सुधार की ज़रूरत है या नहीं। जब यह रिपोर्ट संसद या विधानसभा में पेश की जाती है तो इससे सरकार की जवाबदेही तय होती है और जनता को यह जानने का मौका मिलता है कि उनके पैसे का इस्तेमाल किस तरह किया गया।

कैग रिपोर्ट कैसे तैयार की जाती है?

कैग रिपोर्ट तैयार करने की एक कठिन और विस्तृत प्रक्रिया है। इसके लिए सरकारी रिकॉर्ड की जांच की जाती है। अधिकारियों से बात की जाती है। साइट विजिट की जाती है और अलग-अलग योजनाओं के क्रियान्वयन का विश्लेषण किया जाता है। ऑडिट पूरा होने के बाद कैग संबंधित विभाग से प्रारंभिक रिपोर्ट पर फीडबैक मांगता है। सरकार के स्पष्टीकरण और स्पष्टीकरण के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाती है। जिसे संसद या विधानसभा में पेश किया जाता है। यह रिपोर्ट सरकार की कार्यशैली पर अहम सवाल उठा सकती है, इसलिए इसे लेकर अक्सर विवाद भी होते हैं।

दिल्ली में कैग रिपोर्ट पर क्यों मचा है बवाल?

विधानसभा चुनाव से पहले रिपोर्ट पेश करने में देरी कैग रिपोर्ट पर दिल्ली में मचे बवाल की मूल वजह है। भाजपा का आरोप है कि आप सरकार ने जानबूझकर कैग रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में देरी की। क्योंकि इसमें सरकार की नाकामियों और वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।

भाजपा ने आप पर लगाए गंभीर आरोप

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले भी आप सरकार से इन रिपोर्टों को सार्वजनिक करने को कहा था। उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र में भी इस मुद्दे को उठाया था। लेकिन इसके बावजूद रिपोर्ट पेश करने में देरी हुई। भाजपा ने इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश कर रही है।

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