India News Delhi (इंडिया न्यूज़), NDLS Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी, 2025 की रात महाकुंभ यात्रा के दौरान मची भगदड़ में 18 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों घायल हो गए। यह घटना रेलवे स्टेशन पर अव्यवस्था और भीड़ प्रबंधन की खामियों को उजागर करती है। सवाल उठता है कि इस हादसे की जिम्मेदारी कौन लेगा और क्या रेलवे ने अपनी चूक से कुछ नहीं सीखा?
भीड़ का बढ़ता दबाव
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर 13, 14 और 15 पर प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों का आना था। महाकुंभ के लिए हजारों यात्री स्टेशन पर पहुंचे थे, जिससे भीड़ का दबाव लगातार बढ़ रहा था। स्टेशन पर शाम 4 बजे से ही यात्री जुटने लगे थे, लेकिन ट्रेन के देर से आने के कारण स्थिति और बिगड़ गई। इस अव्यवस्था ने हालात को अनियंत्रित कर दिया। रेलवे के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) के मुताबिक, प्रयागराज एक्सप्रेस को पकड़ने के लिए यात्रियों की भीड़ लगातार बढ़ रही थी। प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 पर पहले से कई ट्रेनें रुकी हुई थीं, जैसे स्वतंत्र सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस। इन ट्रेनों के लेट होने से भीड़ और बढ़ने लगी, जिससे स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई।
1500 जनरल टिकट हर घंटे बिके
रिपोर्टों के मुताबिक, रेलवे द्वारा हर घंटे लगभग 1500 जनरल टिकट बेचे जा रहे थे। इससे स्टेशन पर भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई। जनरल टिकटों की अधिक संख्या में बिक्री के कारण यात्रियों की संख्या प्लेटफॉर्म की क्षमता से कई गुना अधिक हो गई, जो एक गंभीर समस्या बन गई। एक समय ऐसा आया जब रेलवे ने प्लेटफॉर्म नंबर 16 से प्रयागराज के लिए स्पेशल ट्रेन की घोषणा की। इस घोषणा के तुरंत बाद प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़े जनरल टिकट वाले यात्री प्लेटफॉर्म नंबर 16 की ओर भागने लगे। यह अचानक बदलाव और भगदड़ का कारण बना, जिससे स्थिति पूरी तरह से अनियंत्रित हो गई और भारी नुकसान हुआ।
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रेलवे की चूक: क्या कोई जिम्मेदारी लेगा?
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई इस भगदड़ में 18 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए हैं। रेलवे द्वारा हर घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे जाने के बावजूद प्लेटफॉर्म पर इतनी अधिक भीड़ क्यों होने दी गई? क्या रेलवे की ओर से भीड़ प्रबंधन में कोई चूक हुई? इस तरह की गलती पहले भी 2004 में छठ पूजा के दौरान हो चुकी थी, फिर भी रेलवे ने कोई सबक क्यों नहीं लिया?
सीसीटीवी मॉनिटरिंग और अनदेखी
स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, लेकिन प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 पर बढ़ती भीड़ को अनदेखा किया गया। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की जिम्मेदारी थी कि वह स्थिति का सही आकलन कर भीड़ को नियंत्रित करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सीसीटीवी मॉनिटरिंग के बावजूद इस भयंकर हादसे से बचा नहीं जा सका। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन एक संवेदनशील स्थान है, जहां हर दिन लगभग पांच लाख यात्रियों की आवाजाही होती है। ऐसे में रेलवे सुरक्षा बल की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे भीड़ के आंकलन और उचित प्रबंधन के लिए कदम उठाएं। अगर यात्री सुरक्षा के लिए उचित इंतजाम किए जाते, तो शायद इस हादसे को टाला जा सकता था।
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