India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Crime: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तैनात रेलवे पुलिस ने एक इंटरस्टेट बच्चा चोरी गैंग का पर्दाफाश करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह दिल्ली-एनसीआर में चोरी किए गए बच्चों को ढाई से तीन लाख रुपये में बेचने का काम करता था। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर दो बच्चों को सकुशल बरामद किया है। इस गिरोह में तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं, जिनकी पहचान फरीदाबाद निवासी आरती (35), उसके पति सूरज (33), फर्जी वकील निर्मला उर्फ निम्मी (32) और खुद को डॉक्टर बताने वाली नर्स कांता भुजाल उर्फ डॉ. प्रिया के रूप में हुई है।
बच्चा चोरी गैंग का भंडाफोड़
आरती रेलवे स्टेशन और भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बच्चों का अपहरण करती थी। इसके बाद, उसका पति सूरज इन बच्चों को अलग-अलग परिवारों को बेचने का काम करता था। निम्मी, जो दिल्ली के 30 हजारी कोर्ट में वकील के मुंशी के रूप में काम करती थी, बच्चों के अवैध सौदों को कानूनी रूप से दस्तावेजित करती थी। वहीं, डॉ. प्रिया, जो पेशे से एक नर्स है, अपना खुद का IVF क्लिनिक चलाती थी और बिना बच्चों वाले परिवारों को संपर्क करती थी, जिनसे वह बच्चों को गोद दिलाने का झांसा देती थी।
पुलिस की तफ्तीश और गिरफ्तारी
यह मामला तब सामने आया, जब 21 जनवरी 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फूड कोर्ट एरिया से एक चार महीने की बच्ची चोरी हो गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और पाया कि 16 अक्टूबर 2024 को भी रेलवे स्टेशन से एक ढाई साल का बच्चा चोरी हो चुका था। इसके अलावा, 31 जुलाई 2023 को तीन साल का लड़का भी रेलवे स्टेशन से गायब हुआ था।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपी महिला की पहचान की, जो बच्चे को चोरी करने के बाद ऑटो में सवार होकर बदरपुर बॉर्डर के पास उतरी थी। इसके बाद, पुलिस ने ऑटो के नंबर की जांच की और ऑटो ड्राइवर से पूछताछ की। इस पूछताछ से पुलिस को फरीदाबाद के आरती तक पहुंचने में मदद मिली, जिसे गिरफ्तार किया गया। इसके बाद पुलिस ने सूरज, निम्मी और डॉ. प्रिया को भी गिरफ्तार किया।
बरामद हुए बच्चे और खुलासा
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की और उनकी निशानदेही पर दो बच्चों को बरामद किया। इन बच्चों में 16 अक्टूबर 2024 को चोरी किया गया बच्चा लोनी, गाजियाबाद से बरामद हुआ, जबकि 21 जनवरी 2025 को चोरी की गई बच्ची को भी एक अन्य परिवार से बरामद किया गया। इस बच्ची को 2.90 लाख रुपये में बेचा गया था। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने तीन और बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेचा था। पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि यह गिरोह बच्चों की चोरी करने के बाद उन्हें बिना बच्चों वाले परिवारों में बेचा करता था, और इस काम में हर सदस्य का अलग-अलग जिम्मा था।
आरोपियों का गिरोह और उनका नेटवर्क
आरती और सूरज का मुख्य काम बच्चों को चोरी करना और उन्हें बेचने के लिए आगे भेजना था। डॉ. प्रिया अपनी नर्स की नौकरी के दौरान बिना बच्चों वाले परिवारों से संपर्क करती थी, जो बच्चे गोद लेने के इच्छुक होते थे। इसके बाद, निम्मी इन सौदों को कानूनी रूप से वैध बनाने का काम करती थी, जबकि सूरज पैसे की बातचीत करता था। इन गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस से यह भी बताया कि वे बच्चों को 35 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक के रेट में बेचते थे। उनकी यह काली गतिविधि पहले से ही कई बच्चों को प्रभावित कर चुकी थी, जिन्हें वह बेखौफ तरीके से अगवा कर बेच चुके थे।
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