India News (इंडिया न्यूज़),CM Rekha Gupta: दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। राजधानी की सड़कों से 2025 तक 2000 से अधिक पुरानी बसों को हटाने की योजना है, लेकिन उनकी भरपाई के लिए पर्याप्त नई बसें नहीं आ रही हैं। इससे यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। दिल्ली में पहले से ही बसों की संख्या जरूरत से काफी कम है, ऐसे में पुरानी बसों के हटने से समस्या और गंभीर हो सकती है।
यातायात व्यवस्था पर बढ़ता दबाव
बसों की संख्या घटने से लोगों के पास निजी वाहनों का इस्तेमाल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता, जिससे दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक जाम बढ़ रहा है। जो सफर पहले आधे घंटे में पूरा हो जाता था, अब उसमें एक से डेढ़ घंटे तक लग रहा है। इसके अलावा, निजी वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में कुल प्रदूषण का 40% हिस्सा वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण होता है, जिससे हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है।
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सरकारी दावों की हकीकत
दिल्ली सरकार ने 2015 में घोषणा की थी कि 2025 तक बसों की संख्या 10,000 से अधिक कर दी जाएगी, लेकिन यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो पाया। पिछली सरकार अपने कार्यकाल में महज 2500 नई बसें ही जोड़ सकी, जबकि इसी अवधि में इससे कहीं अधिक बसें पुरानी हो जाने के कारण सड़कों से हट गईं। राजधानी को सुचारू यातायात व्यवस्था के लिए कम से कम 11,000 बसों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 7500 बसें ही उपलब्ध हैं।
समाधान के लिए ठोस कदम जरूरी
बसों की संख्या में कमी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें सार्वजनिक परिवहन की अनुपलब्धता के कारण निजी वाहनों पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह जल्द से जल्द नई बसें लाकर इस संकट से राहत दिलाए। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो दिल्ली में ट्रैफिक और प्रदूषण का संकट और गहरा सकता है।