India News (इंडिया न्यूज), Delhi AIIMS News: दिल्ली के एम्स में जल्द ही किडनी प्रत्यारोपण के लिए रोबोट का उपयोग किया जाएगा, जिससे न केवल प्रत्यारोपण की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि मरीजों की रिकवरी भी तेज होने की उम्मीद है। वर्तमान में एम्स में किडनी, लिवर, दिल और पैंक्रियाज के प्रत्यारोपण किए जा रहे हैं, जिसमें किडनी प्रत्यारोपण की संख्या सबसे अधिक है। एम्स के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के अनुसार, जल्द ही इस नई तकनीक का इस्तेमाल शुरू होगा।
रोबोटिक तकनीक का उपयोग
देश में प्रत्यारोपण की मांग के अनुपात में केवल 10% की ही पूर्ति हो पा रही है। इस कमी के पीछे प्रमुख कारण सर्जनों की कमी और पर्याप्त अंगों की उपलब्धता का अभाव है। एम्स में आयोजित दो दिवसीय इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रांसप्लांट सर्जन के सम्मेलन में इस मुद्दे पर गहन चर्चा की गई। इसमें सर्जनों की संख्या बढ़ाने, उनकी गुणवत्ता में सुधार लाने और ट्रेनिंग देने पर जोर दिया गया।
सरकार से प्रत्यारोपण कानून में बदलाव की मांग
सोसाइटी के अध्यक्ष डॉक्टर वीके बंसल ने कहा कि प्रत्यारोपण सर्जन की कमी को दूर करने और अंगों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। साथ ही, सरकार से प्रत्यारोपण कानून में बदलाव की मांग की गई है ताकि इस प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने भी सम्मेलन में कहा कि जल्द ही अंग प्रत्यारोपण सर्जन के प्रशिक्षण के लिए नए पाठ्यक्रम को लागू किया जाएगा।
सरकारी अस्पतालों में प्रत्यारोपण सुविधाओं का अभाव
सम्मेलन के दौरान यह चिंता जताई गई कि देश के अधिकांश सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा नहीं है। नीति आयोग ने इसके समाधान के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के साथ मिलकर 60 सरकारी अस्पतालों में किडनी और 25 अस्पतालों में लिवर प्रत्यारोपण शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस कदम से उम्मीद है कि देश में प्रत्यारोपण सुविधाओं में सुधार होगा और अधिक मरीजों को जीवनदान मिल सकेगा।
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