India News (इंडिया न्यूज), Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार पूर्वांचल वोटरों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच खींचतान बढ़ गई है। दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोग, जो बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य पूर्वी राज्यों से आए हैं, उनका मतदान पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है। इन वोटरों को लुभाने के लिए हर पार्टी अपनी तरफ से वादे कर रही है और उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है।
वोटरों को जोड़ने के लिए अलग-अलग योजनाएं
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने पहले मुफ्त की योजनाओं के तहत कई वादे किए थे। इसके बाद, पुजारियों के लिए मासिक मानदेय की घोषणा भी की गई। इस बार चुनावी माहौल में खासतौर पर पूर्वांचल के वोटरों को जोड़ने के लिए अलग-अलग योजनाएं बनाई जा रही हैं। केजरीवाल ने हाल ही में एक बयान में पूर्वांचल के लोगों के लिए योजनाओं का ऐलान किया था, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे लेकर आरोप लगाया है कि उनके बयान में पूर्वांचल के वोटरों का अपमान किया गया है। बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल ने पूर्वांचल के वोटरों को अपनी सस्ती राजनीति का शिकार बनाया।
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आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने सामने
बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही पूर्वांचल के वोटरों को आकर्षित करने के लिए पूरी ताकत से जुटी हुई हैं। बीजेपी ने जहां अपने जाट आरक्षण को लेकर चुनावी वादे किए हैं, वहीं आम आदमी पार्टी ने पूर्वांचल के लोगों के लिए विकास योजनाओं की पेशकश की है। इस राजनीतिक संघर्ष में सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को होता दिख रहा है, जो इन दोनों दलों के बीच में अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रही है।
पूर्वांचल के वोटरों का महत्व
कुल मिलाकर, दिल्ली चुनाव में इस बार पूर्वांचल के वोटरों का महत्व काफी बढ़ चुका है। चुनावी राजनीति के इस जटिल खेल में यह तय होगा कि कौन सा दल इन वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर पाता है और किसकी बनेगी दिल्ली की सरकार।
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