India News (इंडिया न्यूज़),Delhi: देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में 25 आरोपियों के खिलाफ हत्या, आगजनी और डकैती समेत कई आरोप तय करने का आदेश दिया है। बता दें कि यह मामला पुलिस दल पर उस हमले से संबंधित है जिसमें हेड कांस्टेबल रतन लाल की मृत्यु हो गई थी।
संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर रहे थे
आपको बता दें कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने अपने आदेश में बताया कि संविधान किसी भी प्रदर्शनकारी को हिंसा, हमला, हत्या या किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं देता, इसलिए यह तर्क पूरी तरह से अनुचित है कि आरोपी अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर रहे थे।
हिस्सा होने का बड़ा आरोप
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अदालत ने 27 लोगों के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इन लोगों पर उस भीड़ का हिस्सा होने का बड़ा आरोप है जिसने चांद बाग विरोध स्थल पर 24 फरवरी 2020 को पुलिस दल पर उस समय ‘‘क्रूरता से हमला’’ किया जब अधिकारियों ने उन्हें मुख्य वजीराबाद सड़क को अवरुद्ध करने से रोकने की कोशिश की। अदालत ने 22 नवंबर को पारित 115 पन्नों के अपने आदेश में बताया कि लाल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आग्नेयास्त्र के घाव और 21 अन्य बाहरी चोटों का पता चला है. इसने बताया, ‘‘आग्नेयास्त्र का यह घाव और साथ ही 5 अन्य घाव मौत का कारण बनने के लिए पर्याप्त पाए गए। इस प्रकार, हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हमले और गोली लगने से हुई.’’
अनुज कुमार की मदद की
अभियोजन पक्ष ने बताया कि लाल को हल्का बुखार था और उनके सहकर्मियों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी लेकिन दयालपुर थाने की सीमा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में गंभीर तनाव को देखते हुए वह नौकरी पर आए थे। इसने बताया कि उन्होंने भीड़ को शांत करने और स्थिति को नियंत्रित करने में तत्कालीन DCP (पुलिस उपायुक्त) शाहदरा, अमित शर्मा और ACP (सहायक पुलिस आयुक्त) गोकलपुरी, अनुज कुमार की सहायता की।