India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi Election 2025 Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव के शुरुआती नतीजों ने आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़े झटके की पुष्टि कर दी है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी इस बार करारी शिकस्त की ओर बढ़ रही है, जबकि बीजेपी को मजबूत बढ़त मिलती दिख रही है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल की परिस्थितियां काफी हद तक समान रहीं, लेकिन सोरेन को जहां जनता की सहानुभूति मिली, वहीं केजरीवाल को ऐसा समर्थन नहीं मिल सका।
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी रही आप
दोनों नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे और वे मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जेल भी गए, लेकिन झारखंड में जनता ने हेमंत सोरेन का साथ दिया, जबकि दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी को जनता ने नकार दिया। इस हार की सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी रही और सरकार की नीतियों से जनता का भरोसा लगातार कम होता गया।
भरोसे की कमी और विवादित बयान
अरविंद केजरीवाल की छवि पर सबसे बड़ा असर उनके बयानों ने डाला। उन्होंने कई बार अपने विरोधियों पर आरोप लगाए, लेकिन बाद में माफी भी मांगनी पड़ी। इससे उनकी विश्वसनीयता को नुकसान हुआ। हाल ही में उन्होंने हरियाणा सरकार पर दिल्ली में ‘नरसंहार’ करने की साजिश का आरोप लगाया, लेकिन जब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने खुद यमुना का पानी पीकर उनके दावे को झूठा साबित कर दिया, तो यह बयान उन पर ही भारी पड़ गया।
वीवीआईपी कल्चर और ‘शीशमहल’ विवाद
आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने से पहले वीवीआईपी कल्चर खत्म करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने खुद लग्जरी गाड़ियां, बंगला और दोहरी सुरक्षा व्यवस्था अपना ली। उनके आलीशान सरकारी आवास को लेकर ‘शीशमहल’ विवाद खड़ा हुआ, जिससे उनकी आम आदमी वाली छवि धूमिल हो गई। सीएजी की रिपोर्ट में भी उनके आवास पर हुए खर्च को लेकर सवाल उठाए गए, लेकिन दिल्ली सरकार ने विधानसभा में इसे पेश नहीं किया, जिससे पार्टी की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हुए।
सही गठबंधन न कर पाना
चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं हो सका, जिससे दोनों पार्टियों को नुकसान हुआ। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आप ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और वहां कांग्रेस को बहुत कम अंतर से हार मिली थी। लेकिन इससे सीख न लेते हुए दिल्ली में भी दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिससे बीजेपी को सीधा फायदा मिला।
जनता के बीच नाराजगी और अधूरी योजनाएं
झारखंड में हेमंत सोरेन की जीत की एक अहम वजह उनकी महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद देने वाली योजना रही, जिससे जनता को सीधा लाभ मिला। दिल्ली में भी केजरीवाल सरकार इस तरह की योजना लाने की बात कर रही थी, लेकिन इसे समय रहते लागू नहीं कर सकी। इससे जनता को यह संदेश गया कि अगर इस बार नहीं हुआ, तो अगली बार भी नहीं होगा। दिल्ली में जनता फ्री बिजली-पानी जैसी योजनाओं से अब आगे बढ़ चुकी थी और मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रही थी। गर्मियों में पानी की किल्लत सबसे बड़ा मुद्दा बना, लेकिन दिल्ली सरकार इसे सुलझाने में नाकाम रही। सरकार ने वादा किया था कि 24 घंटे साफ पानी की सप्लाई होगी, लेकिन हकीकत यह रही कि कई इलाकों में लोगों को गंदा पानी भी मुश्किल से मिल रहा था। टैंकर माफिया के आगे सरकार बेबस नजर आई, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।
नेतृत्व की स्पष्टता की कमी
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने आतिशी को सरकार का चेहरा बनाने की कोशिश की, लेकिन जनता जानती थी कि अगर पार्टी जीत भी जाती, तो केजरीवाल खुद मुख्यमंत्री नहीं बन पाते। इससे दिल्ली के मतदाताओं को यह अहसास हुआ कि सरकार का नेतृत्व अस्थिर रहेगा और समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी।
क्या थी सबसे बड़ी गलती?
इस बार आम आदमी पार्टी के खिलाफ कई मुद्दे एक साथ खड़े हो गए। भ्रष्टाचार के आरोपों ने पार्टी की साख को कमजोर किया, विवादित बयानों से जनता की नाराजगी बढ़ी, अधूरी योजनाओं ने भरोसे को तोड़ा, और गठबंधन न कर पाने की गलती ने चुनावी समीकरण बिगाड़ दिए। दिल्ली में हार के बाद आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह अपनी खोई हुई साख को दोबारा हासिल कर पाएगी, या यह चुनाव उसके पतन की शुरुआत साबित होगा?