India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (28 फरवरी) को शाही ईदगाह पार्क में महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने से जुड़े एक मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका अदालत के पूर्व आदेश को स्पष्ट करने के लिए दायर की गई थी, जिसमें इस मामले से जुड़ी अपील का निपटारा किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि अदालत के आदेशों को उनके संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए और 7 अक्टूबर 2024 को दिए गए आदेश में किसी प्रकार के स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है।

कोर्ट का रुख और आदेश

कोर्ट ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति के वकील से कहा कि अदालत के आदेश स्पष्ट हैं और किसी व्याख्या की जरूरत नहीं है। अदालत ने सुझाव दिया कि यदि समिति को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी नोटिस से कोई समस्या है, तो वे उसके खिलाफ उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाएं।

शाही ईदगाह प्रबंध समिति ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा था। समिति का तर्क था कि एकल न्यायाधीश की टिप्पणियां अस्थायी थीं और केवल विवाद को हल करने के उद्देश्य से दी गई थीं। उन्होंने यह भी कहा कि इस आदेश को वक्फ अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध जाकर वक्फ संपत्ति को डीडीए को हस्तांतरित करने की अनुमति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

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प्रतिमा पहले ही स्थापित हो चुकी

खंडपीठ ने पहले ही महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा की स्थापना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि प्रतिमा पहले ही नगर निगम (एमसीडी) द्वारा स्थापित की जा चुकी है और इससे वहां प्रार्थना करने वालों के अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इसलिए, इस मुद्दे पर अब किसी कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

ईदगाह प्रबंध समिति की अन्य आपत्तियां

समिति की याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि डीडीए ईदगाह पार्क में वार्षिक धार्मिक आयोजन ‘इज्तेमा’ के लिए शुल्क मांग रहा है। इसके अलावा, एकल न्यायाधीश ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें एमसीडी अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे शाही ईदगाह की जमीन का अतिक्रमण न करें। समिति का दावा है कि ईदगाह की भूमि वक्फ संपत्ति है, और इस पर सरकारी हस्तक्षेप अनुचित है। हालांकि, अदालत ने इस दावे को स्वीकार नहीं किया और याचिका को खारिज कर दिया।

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