India News (इंडिया न्यूज़),Delhi Kathputli Colony: दिल्ली के कठपुतली कॉलोनी के निवासियों को डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) द्वारा 8 साल पहले ट्रांजिट कैंप में शिफ्ट किया गया था, जहां उन्हें बेहतर जीवन और फ्लैट का वादा किया गया था। हालांकि, इतने साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अपने वादे के अनुसार मकान नहीं मिला है। मजबूरी में लोग छोटे-छोटे कमरों में रह रहे हैं, जहां पानी, टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
पानी की किल्लत सबसे ज्यादा
कठपुतली कॉलोनी के लोग 2014, 2015-16 और 2017 में आनंद पर्वत और नरेला के ट्रांजिट कैंप में शिफ्ट किए गए थे। इन कैंपों में रहने वाले लोगों का कहना है कि कॉलोनी में उनके पास जमीन थी और कई लोगों के पास दो मंजिला मकान थे, लेकिन अब उन्हें सिर्फ एक छोटे कमरे में रहना पड़ रहा है। इस छोटे से कमरे में एक स्लैब रखकर सामान रखने की व्यवस्था की गई है, और न ही यहां व्यक्तिगत टॉयलेट और न बाथरूम की सुविधा है। पानी की किल्लत इतनी है कि टैंकर से केवल 35 लीटर पानी ही मिल पाता है, और टॉयलेट के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है।
निर्माण कार्य की अनिश्चितता
डीडीए के इन सीटू रिहेविटेशन प्रोजेक्ट के तहत कठपुतली कॉलोनी में निर्माण कार्य 2018 में शुरू हुआ था, जिसकी पहली डेडलाइन मार्च 2019 तय की गई थी। लेकिन कोविड-19 महामारी और अन्य कारणों से निर्माण कार्य लगातार देरी का शिकार हो रहा है। अब तक डीडीए द्वारा निर्माण की वर्तमान स्थिति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
बुनियादी सुविधाओं की कमी
लोगों को न केवल निर्माण कार्य की देरी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें बिजली के मीटर लगवाने का भी दबाव बनाया जा रहा है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है। आनंद पर्वत कैंप में करीब 15,000 लोग 2,800 घरों में रह रहे हैं, जहां गंदगी और बदबू की समस्याएं आम हो गई हैं। इन समस्याओं की वजह से कई परिवारों के बच्चों की शादी तक रुक गई है। कठपुतली कॉलोनी के लोगों की स्थिति बेहद चिंताजनक है और उन्हें सरकार से जल्द ही राहत की उम्मीद है।
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