India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Liquor Scam: दिल्ली की 2021-2022 आबकारी नीति को लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को इस नीति के कारण 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ, लेकिन नुकसान सिर्फ सरकारी खजाने तक सीमित नहीं था। शराब की गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर खामियां भी सामने आईं, जिससे दिल्लीवासियों की सेहत को भी खतरा हुआ।
जांच में भी कमी
सीएजी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आबकारी विभाग ने शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के मामले में कई समझौते किए। रिपोर्ट के अनुसार, कई ब्रैंड्स की शराब की परीक्षण रिपोर्ट्स भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मापदंडों के अनुरूप नहीं थीं। इसके बावजूद आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी कर दिए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई शराब ब्रैंड्स की रिपोर्ट्स में पानी की गुणवत्ता, हानिकारक तत्वों, भारी धातु, मिथाइल अल्कोहल और माइक्रोबायोलॉजिकल परीक्षण की जानकारी नहीं दी गई। कुछ रिपोर्ट्स एनएबीएल (NABL) प्रमाणित लैब से नहीं तैयार की गईं, जो कि FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ऐक्ट के तहत अनिवार्य है।
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अवैध रिपोर्टों और जांच की खामियां
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी शराब से संबंधित 51% परीक्षण रिपोर्टों में से कई या तो एक साल से अधिक पुरानी थीं, या फिर कोई परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी। इसके अतिरिक्त, रिपोर्टों में तिथियों का उल्लेख भी नहीं किया गया था। रिपोर्ट के बाद यह साफ हो गया है कि दिल्ली में शराब नीति की शुरुआत से लेकर उसकी कार्यवाही तक, न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ, बल्कि शराब की गुणवत्ता से खिलवाड़ होने के कारण नागरिकों की सेहत भी जोखिम में थी।
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