India News(इंडिया न्यूज़),Delhi Meat Shops: दिल्ली में पटपड़गंज से बीजेपी विधायक रविंद्र नेगी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह अपने विधानसभा क्षेत्र में मीट दुकानदारों को धमकी भरे अंदाज में दुकानें बंद करने का आदेश देते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने इन दुकानों को बंद कराने के बाद खुद ही इसका वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया और इसकी वजह भी बताई।
सोशल मीडिया पर विधायक रविंद्र नेगी का वीडियो वायरल
रविंद्र नेगी ने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित मीट की ये दुकानें मंदिर के पास हैं, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा होती है। उन्होंने धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए दुकानदारों से हर मंगलवार को अपनी दुकानें बंद रखने की बात कही। सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, “पटपड़गंज विधानसभा में मंगलवार को खुली चिकन शॉप को बंद कराने का निर्देश दिया, क्योंकि यह मंदिर में आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत कर रही थी। सनातन संस्कृति में धार्मिक स्थलों के आसपास शुद्धता और पवित्रता का विशेष महत्व होता है। ऐसे पावन स्थानों के आसपास ऐसी दुकानों का संचालन आस्था और परंपरा के विपरीत है।”
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प्रशासन के अधिकार क्षेत्र पर सवाल
इस घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगे कि किसी इलाके में दुकान बंद करवाने का अधिकार प्रशासन के पास है या किसी विधायक को भी ऐसा करने का हक है? जब मीडिया टीम ने इस मामले की ग्राउंड रिपोर्टिंग की तो पता चला कि जिस इलाके में यह विवाद हुआ, वह पटपड़गंज का शशि गार्डन क्षेत्र है। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर के पास कई मीट की दुकानें हैं। बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों ने ही इन दुकानों को लेकर विधायक से शिकायत की थी, जिसके बाद वह MCD की टीम के साथ पहुंचे और दुकानों को बंद करने का आदेश दिया।
दुकानदारों की प्रतिक्रिया
वीडियो में विधायक तीन अहम बातें कहते नजर आ रहे हैं। पहली, हर मंगलवार को मीट की दुकानें बंद रहनी चाहिए। दूसरी, यदि किसी ने इस नियम का उल्लंघन किया तो उसकी दुकान स्थायी रूप से बंद कर दी जाएगी। तीसरी, दुकान पर रखा मीट या मछली खुला नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे लोगों को असुविधा होती है। हालांकि, दुकानदारों ने इस फरमान पर सवाल उठाया। मुस्लिम दुकानदारों ने कहा कि वे मंगलवार को दुकान बंद रखने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने पूछा कि यहां संविधान चलेगा या विधायक की मर्जी? इस मामले ने अब राजनीतिक तूल पकड़ लिया है, जहां एक तरफ विधायक धार्मिक आस्था की दुहाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल उठ रहा है कि क्या एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को इस तरह कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार है?