India News Delhi (इंडिया न्यूज़),  Delhi Sikh Riots: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट आज कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में अपना फैसला सुनाएगी। यह मामला 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। 31 जनवरी को कोर्ट ने सरकारी वकील मनीष रावत की अतिरिक्त दलीलें सुनने के बाद मामले का आदेश सुरक्षित रख लिया था। सज्जन कुमार पर आरोप है कि उन्होंने सिख विरोधी दंगे के दौरान एक उन्मादी भीड़ का नेतृत्व किया, जिसने दोनों व्यक्तियों को जिंदा जलाया और उनके घर सहित संपत्ति को नष्ट कर दिया।

सिख विरोधी दंगे मामले में आज कोर्ट का फैसला

इस मामले में आरोपी सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं, जिनमें हत्या (धारा 302), जान से मारने की कोशिश (धारा 308), लूट (धारा 395), आगजनी (धारा 436) सहित अन्य आरोप शामिल हैं। अधिवक्ता अनिल शर्मा ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस मामले में सज्जन कुमार का नाम शुरू में नहीं था और इसमें विदेशी भूमि का कानून लागू नहीं होता। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गवाहों द्वारा सज्जन कुमार का नाम लेने में 16 साल की देरी हुई थी, जिससे मामले की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे थे। वहीं, दिल्ली के उपराज्यपाल ने 1984 के दंगे पीड़ितों के लिए नौकरी की पात्रता में छूट को मंजूरी दी है, जो कि इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पुलिस जांच में गड़बड़ी

वहीं, इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने पीड़ितों की ओर से पेश होकर यह तर्क दिया कि सिख विरोधी दंगों की पुलिस जांच में गड़बड़ी की गई थी। फुल्का ने दावा किया कि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए जांच को धीमा किया। उन्होंने यह भी कहा कि दंगों के दौरान स्थिति असाधारण थी, और इसे इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। फुल्का ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला अकेला नहीं था, बल्कि यह 1984 के सिख नरसंहार का हिस्सा था।

क्या था मामला

सज्जन कुमार के खिलाफ यह मामला 1992 में चार्जशीट तैयार होने के बावजूद अदालत में दाखिल नहीं किया गया था, जिससे यह आरोप लगाया गया कि पुलिस ने उन्हें बचाने के प्रयास किए। 16 दिसंबर 2021 को विशेष अदालत ने आरोप तय किए थे कि सज्जन कुमार ने उकसाकर और भीड़ के नेतृत्व में हत्या, आगजनी, लूटपाट, और संपत्ति को नष्ट किया। इस केस के महत्वपूर्ण गवाहों ने घटना का खुलासा किया और उनके बयान सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए। पीड़ित महिला ने बयान में कहा कि उसने अपने पति और बेटे को भीड़ द्वारा मारा जाता देखा और 1.5 महीने बाद आरोपी सज्जन कुमार की तस्वीर एक पत्रिका में पहचानी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार पहले भी 1984 के दंगों में अपने कृत्यों को नकार चुके हैं। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में भी अपील लंबित है, लेकिन अब विशेष अदालत का फैसला देश के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। अदालत का निर्णय दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय की ओर एक बड़ा कदम हो सकता है।

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