India News (इंडिया न्यूज),Delhi Transport Corporation Loss: दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को लेकर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) को भारी घाटा हुआ है, जिसकी एक बड़ी वजह फ्री बस सेवा भी मानी जा रही है।

कैग की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

दिल्ली विधानसभा में आज कैग की 14 रिपोर्ट पेश की जाएंगी, जिनमें डीटीसी से जुड़ी रिपोर्ट भी शामिल है। यह वही रिपोर्ट है, जिसे पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में पेश नहीं किया था। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में डीटीसी को 25,300 करोड़ रुपये का घाटा था, जो 2021-22 तक बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये हो गया। यह घाटा लगातार बढ़ने के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि डीटीसी की 45 प्रतिशत बसें पूरी तरह कबाड़ हो चुकी हैं, जिससे यात्रियों को खासी परेशानी हो रही है।

फ्री बस सेवा ने बढ़ाया आर्थिक बोझ

रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 के बाद से डीटीसी बसों के किराए में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिससे राजस्व में कोई वृद्धि नहीं हो पाई। वहीं, महिलाओं को दी गई फ्री बस सेवा योजना से निगम की वित्तीय स्थिति और खराब हो गई। 2015 में अरविंद केजरीवाल ने 10,000 नई बसें खरीदने का ऐलान किया था, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि डीटीसी के पास केवल 3,937 बसों का बेड़ा है, जिसमें से 1,770 बसें कबाड़ हो चुकी हैं।

योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं

कैग की रिपोर्ट ने यह भी उजागर किया कि केंद्र सरकार की फेम-1 योजना के तहत 49 करोड़ रुपये की सहायता दी गई थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसका लाभ नहीं उठाया। इसी तरह, फेम-2 योजना के तहत इलेक्ट्रिक बसों के अनुबंध की अवधि 12 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष कर दी गई, जिससे डीटीसी को अतिरिक्त आर्थिक नुकसान हुआ।

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रूटों की अव्यवस्था से भी बढ़ा घाटा

डीटीसी के घाटे की एक और वजह बसों के रूटों की खराब योजना भी बताई गई। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 468 बस रूट हैं, लेकिन किसी भी मार्ग पर चलने वाली बसें अपना परिचालन खर्च निकालने में असफल रही हैं। 2015 से 2022 के बीच इस वजह से डीटीसी को 14,199 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

क्या सरकार उठाएगी कोई ठोस कदम?

डीटीसी को वित्तीय संकट से उबारने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं अपनाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2007 में कहा था कि डीटीसी के पास 11,000 बसों का बेड़ा होना चाहिए, लेकिन 2022 तक यह संख्या केवल 3,937 तक ही सीमित रह गई। 2022 में 300 नई बसें खरीदी गईं, लेकिन इसके बावजूद 1,740 बसों की कमी बनी रही।

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