India News (इंडिया न्यूज),Delhi Vidhan Sabha Session: दिल्ली विधानसभा के सत्र का दूसरा दिन राजनीतिक उथल-पुथल से भरपूर रहने वाला है, क्योंकि भाजपा सरकार पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के कार्यकाल की 14 लंबित कैग (CAG) रिपोर्ट पेश करने जा रही है।
BJP ने किया हैरान कर देने वाला दावा
भाजपा ने दावा किया है कि आप सरकार ने इन रिपोर्टों को जानबूझकर रोक रखा था, ताकि वित्तीय अनियमितताओं और कथित भ्रष्टाचार को छिपाया जा सके। विधानसभा में उपराज्यपाल के अभिभाषण के बाद इन रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाएगा, जिसके बाद सदन में तीखी बहस की संभावना है। इन रिपोर्टों में आबकारी नीति, मुख्यमंत्री आवास पुनर्निर्माण, यमुना और वायु प्रदूषण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, शराब विनियमन और दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की कार्यप्रणाली की समीक्षा शामिल है।
‘शीशमहल’ पर विवाद, आवास नवीनीकरण पर सवाल
इन रिपोर्टों में सबसे अधिक ध्यान मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण से जुड़े मामले पर है, जिसे भाजपा ने ‘शीशमहल’ करार दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 6-फ्लैग स्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण के लिए 2020 में 7.61 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी, लेकिन अप्रैल 2022 तक इसकी लागत बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गई। यानी परियोजना लागत में 342 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भाजपा और कांग्रेस ने इस रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
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आबकारी नीति और प्रदूषण पर भी उठेंगे सवाल
इन रिपोर्टों में दिल्ली की विवादित आबकारी नीति भी शामिल है, जिसे लेकर पहले ही जांच चल रही है। इसके अलावा, यमुना नदी और वायु प्रदूषण से निपटने में पूर्व सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठ सकते हैं। रिपोर्ट में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा भी शामिल है।
भाजपा का दावा, ‘आप’ सरकार ने रोक रखी थी रिपोर्ट
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि भाजपा सरकार बनने के बाद लंबित कैग रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा। भाजपा ने पहले भी इन रिपोर्टों को जारी करने की मांग की थी और अदालत तक गई थी। पार्टी का आरोप है कि आप सरकार ने जानबूझकर इन्हें रोका, ताकि भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन से जुड़े निष्कर्षों को छिपाया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभाओं में इन रिपोर्टों को उजागर करने का वादा किया था, जिससे विधानसभा चुनाव के दौरान यह एक बड़ा मुद्दा बना था। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी पहले इन रिपोर्टों को सार्वजनिक न करने पर चिंता जताई थी और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की थी।
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