India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi: पूर्वी दिल्ली स्थित दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल होता जा रहा है। आरोप है कि यहां न तो मरीजों को दवा मिल रही है और न ही सर्जरी। संस्थान प्रशासन का दावा है कि मरीजों को सारी सुविधाएं मिल रही हैं। बरेली निवासी प्रताप का कहना है कि उनकी दादी का इलाज दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में चल रहा है। यहां कई दवाएं ऐसी हैं जो महीनों से नहीं मिल रही हैं। प्रताप ने 10 अगस्त को अस्पताल के डॉक्टरों से लिखित शिकायत की। संस्थान के एक डॉक्टर ने बताया कि आईसीयू में छह वेंटिलेटर मशीन हैं, लेकिन उन पर मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। इसके अलावा गैस और उल्टी की दवाइयां मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।

इलाज के लिए भटक रहे हैं मरीज

यहां कई दिनों से पेनटॉप और कैल्शियम की दवाएं नहीं मिल रही हैं। प्रताप ने बताया कि उनके पास बाहर से दवा खरीदने के पैसे नहीं हैं। परेशान होकर उन्होंने संस्थान के डॉक्टरों से लिखित शिकायत की है। वहीं, करीब तीन साल से यहां पीईटी सीटी स्कैन जांच नहीं हो रही है। इसका फायदा उठाकर संस्थान के बाहर दलाल सक्रिय हो गए हैं जो सस्ती दरों पर जांच कराने का दावा कर मरीजों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। संस्थान के एक डॉक्टर ने बताया कि आईसीयू में छह वेंटिलेटर मशीन हैं, लेकिन उन पर मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। इसके अलावा गैस और उल्टी की दवाइयां मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।

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वजह चौकाने वाली

संस्थान में करीब 20 दिन से ऑपरेशन थियेटर बंद होने से कैंसर के मरीजों की सर्जरी के लिए लाइन लग रही है। सूत्रों का कहना है कि एसी खराब होने से ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। ऑपरेशन के इंतजार में मरीज दर्द से तड़प रहे हैं। ओपीडी में करीब 50 नए मरीज ही देखे जा रहे हैं, जबकि मरीजों की लाइन सड़क तक लगी हुई है। बाकी मरीजों को लौटा दिया जा रहा है।

चिकित्सा निदेशक की कमी

सूत्रों का कहना है कि नियुक्ति के नाम पर गड़बड़झाला हो रहा है। कोरोना काल से ही संस्थान में स्थायी चिकित्सा निदेशक की कमी चल रही है। वर्तमान में जिन्हें अस्थायी तौर पर चिकित्सा निदेशक का प्रभार मिला है, उनके पास पहले से ही दो अन्य अस्पतालों का प्रभार है। एक कर्मचारी ने बताया कि अन्य अस्पतालों का प्रभार होने के कारण चिकित्सा निदेशक सप्ताह में एक या दो बार ही कुछ घंटों के लिए आते हैं।

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