India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Jamia Millia Islamia: दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय में अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने के आरोप में 14 छात्रों को हिरासत में लिया। इन छात्रों ने विश्वविद्यालय द्वारा कुछ छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन 10 फरवरी 2025 को शुरू हुआ था, जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने छह छात्रों को विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और ‘तोड़फोड़’ करने के आरोप में निलंबित कर दिया था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस द्वारा छात्रों की हिरासत और आरोप
पुलिस का दावा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें छात्रों के बारे में सूचित किया था, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रों को हिरासत में लिया। पुलिस ने कहा कि छात्रों को सत्यापन के बाद रिहा किया गया, लेकिन कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की और उनके फोन जब्त कर लिए। हिरासत में लिए गए छात्रों में एमए समाजशास्त्र की 22 वर्षीय छात्रा उत्तरा यूआर भी शामिल थीं, जिन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और उन्हें जबरन बाहर निकाला गया।
प्रदर्शन का कारण और छात्रों के आरोप
छात्रों का कहना है कि वे 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ और उस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में हुई कथित पुलिस बर्बरता की याद में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उत्तरा यूआर और अन्य छात्रों का आरोप था कि पुलिस ने उनके फोन छीन लिए और उन्हें अपना पक्ष रखने से रोका।
छात्रों पर की गई कार्रवाई
जेएमआई प्रशासन ने बताया कि 10 फरवरी 2025 से शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों ने कक्षाओं को बाधित किया और केंद्रीय लाइब्रेरी तक पहुंच को रोकने की कोशिश की। प्रशासन ने बताया कि इन छात्रों ने शैक्षणिक वातावरण को खराब किया और विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। एक छात्र को निलंबन पत्र जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और विरोध प्रदर्शन के दौरान नारे लिखे।
विरोध के पीछे छात्र संगठन और मांगें
यह विरोध प्रदर्शन छात्रों के एक समूह द्वारा किया जा रहा था, जिनकी मांग थी कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के खिलाफ उठाए गए कदमों को वापस ले। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनके शैक्षिक अधिकारों को दबा रहा है और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की उनकी स्वतंत्रता को छीन रहा है। जेएमआई प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि ऐसी घटनाओं से शैक्षिक वातावरण पर कोई असर न पड़े। हालांकि, छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को उनके शैक्षिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और छात्रों के खिलाफ की जा रही अनुशासनात्मक कार्रवाई पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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