India News Delhi (इंडिया न्यूज़) Digital Arrest: दिल्ली के एक युवक को कोयंबटूर के एक होटल में 16 दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” कर रखा गया, जहां ठगों ने उसे मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों में फंसाने का डर दिखाकर 1.11 करोड़ रुपये की रकम वसूल ली। आरोपी ने युवक से 24 घंटे वीडियो कॉल, मोबाइल स्क्रीन शेयरिंग के माध्यम से निगरानी रखी और हर दिन 30 सवालों के लिखित जवाब मांगे। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे हुआ ठगी का शिकार?
पीड़ित युवक, प्रवीण, दक्षिण दिल्ली का निवासी है और कोयंबटूर में एक संगठन से जुड़ा हुआ है। प्रवीण ने 23 दिसंबर 2024 से 8 जनवरी 2025 तक कोयंबटूर में समय बिताया। इस दौरान, उसे व्हाट्सएप पर दो वॉयस कॉल आईं, जिनमें से एक कॉल में खुद को सीबीआई से आईपीएस अधिकारी विजय कुमार और दूसरे में साइबर क्राइम से हेड कॉन्स्टेबल शिव कुमार बताने वाले लोगों ने संपर्क किया। कॉल करने वालों ने दावा किया कि प्रवीण का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है, जिसमें उसका आधार नंबर और एक बैंक खाता पकड़ा गया है। इसके बाद उसे गिरफ्तार किए जाने की धमकी दी गई।
गिरफ्तारी का डर और डिजिटल अरेस्ट
स्कैमर्स ने प्रवीण से कहा कि यदि वह निर्दोष है, तो उसे जांच में सहयोग करना होगा और अगर जांच में उसका नाम साफ हो गया तो उसे छोड़ दिया जाएगा। हालांकि, आरोपियों ने उसे विभिन्न साक्ष्यों के बारे में डराया और उसके मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से उसकी निगरानी शुरू कर दी। फिर, 23 दिसंबर से 26 दिसंबर तक प्रवीण से रोजाना 30 सवालों के जवाब लिखवाए गए। इसके बाद 26 दिसंबर से 8 जनवरी तक स्कैमर्स ने उसे अपने अकाउंट्स में कुल 1.11 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा।
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शिकायत और जांच की शुरुआत
आरोपियों ने बताया कि वसूली गई राशि का इस्तेमाल जमानत सुरक्षा बॉंड के सत्यापन के लिए किया जाएगा और यह पैसे कुछ दिन बाद वापस कर दिए जाएंगे। हालांकि, जब प्रवीण ने पूरी रकम ट्रांसफर कर दी, तो इसके बाद आरोपियों ने उससे संपर्क काट लिया। इसके बाद, प्रवीण को समझ में आया कि वह डिजिटल अरेस्टिंग और ठगी का शिकार हो गया है। प्रवीण ने साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज की, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में केस दर्ज किया और जांच शुरू की। पुलिस का कहना है कि ठगों ने बेहद चालाकी से प्रवीण को अपनी जाल में फंसाया और उसे यह विश्वास दिलाया कि उसे सरकारी एजेंसियों द्वारा निगरानी में रखा गया है।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने इस मामले में डिजिटल ठगी के आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। पुलिस अब आरोपियों के नेटवर्क और उनकी पहचान का पता लगाने में जुटी है। यह घटना डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराध के मामलों में एक बड़ा उदाहरण बन गई है, जिसमें ठगों ने प्रवीण को पूरी तरह से अपनी जाल में फंसा लिया। इस मामले से यह बात सामने आई है कि साइबर ठगों का नेटवर्क अब पहले से कहीं ज्यादा प्रभावशाली और चौकस हो चुका है, जो लोगों को अपने फर्जीवाड़े में फंसाने के लिए विभिन्न प्रकार के ट्रिक्स का उपयोग कर रहा है। दिल्ली पुलिस ने लोगों को इस तरह के मामलों में सतर्क रहने की सलाह दी है।
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