India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Sajjan kumar anti sikh riots:  1984 में देश में एक बड़ा खौफनाक अध्याय तब जुड़ा, जब 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी। इस हत्या के बाद, सिख समुदाय पर राजधानी दिल्ली में घातक हमले शुरू हो गए। दंगों में सिखों की संपत्तियों को लूटा गया, आगजनी की गई और हजारों निर्दोष सिखों की हत्या कर दी गई। 1984 सिख विरोधी दंगे में कुल 2733 लोगों की जानें गईं। इन दंगों के बाद, कांग्रेस पार्टी के नेता और सांसद रहे सज्जन कुमार पर दंगों के दौरान सिखों की हत्या करने का गंभीर आरोप लगा, और अब तक सात हत्याओं के दोषी के रूप में उनकी सजा हो चुकी है।

सरस्वती विहार में बाप-बेटे को जलाने की घटना

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों में सरस्वती विहार इलाके में बाप-बेटे की हत्या का दोषी करार दिया। इस हत्याकांड में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह को सिख विरोधी भीड़ ने लाठी और सरियों से मारा। दोनों बाप-बेटे ने बचने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया और बेहोश कर दिया। फिर, उन्हें जिंदा जला दिया गया। जसवंत सिंह की पत्नी ने अदालत में इस घटना का पूरा विवरण दिया, जिसमें उन्होंने सज्जन कुमार को दोषी के रूप में पहचाना, जो उस हिंसा की अगुआई कर रहा था।

पालम गांव में पांच की हत्या

सज्जन कुमार को एक अन्य मामले में भी दोषी करार दिया गया था, जिसमें दिल्ली कैंट के पालम कॉलोनी में 1-2 नवंबर 1984 को पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में, दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी पाया और उन्हें उम्रभर की सजा सुनाई। वह इस सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं, लेकिन फिलहाल तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं।

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नानावटी आयोग और दंगे की जांच

1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद सरकार ने नानावटी आयोग का गठन किया, जिसने हिंसा की जांच की। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दंगों के दौरान दिल्ली में कुल 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जिनमें से 240 मामलों को सुराग न मिलने पर बंद कर दिया गया। सिर्फ 28 मामलों में दोषसिद्धि हो पाई, जिसमें करीब 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। सज्जन कुमार सहित लगभग 50 लोग इन दंगों के लिए दोषी करार दिए गए। हालांकि, इन दंगों के बाद भी कुमार कांग्रेस पार्टी में एक बड़े नेता के रूप में बने रहे, लेकिन 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

सज्जन कुमार का इस्तीफा और कांग्रेस से नाता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार पर दंगों के दौरान सिखों के खिलाफ हिंसा करने का आरोप था। उन्हें पार्टी से जुड़ा रहने के बावजूद लंबे समय तक संरक्षण मिला। लेकिन 2018 में जब उन्हें अदालत ने दोषी करार दिया और सजा सुनाई, तब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इस फैसले के बाद पार्टी के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

सज्जन कुमार पर कोर्ट का फैसला

सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों में उनकी भूमिका के लिए अब तक सात हत्याओं का दोषी पाया जा चुका है। इन दंगों के दौरान किए गए कत्लेआम में उनके द्वारा की गईं ज्यादतियों ने उन्हें ऐतिहासिक रूप से एक कुख्यात नाम बना दिया। अदालत ने उन्हें कुछ मामलों में सजा सुनाई है, जिनमें से एक में उन्हें उम्रभर की सजा मिली है, जबकि अन्य मामलों में सजा का ऐलान होना बाकी है।

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