India News (इंडिया न्यूज), Artificial Rain Cost In Delhi: दिल्ली में जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है उसे रोकने के लिए दिल्ली का पर्यावरण विभाग अगली कैबिनेट बैठक में कृत्रिम बारिश के परीक्षण का प्रस्ताव पेश कर सकता है। अधिकारी का कहना है कि अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो सरकार सीधे आईआईटी कानपुर को फंड ट्रांसफर कर सकती है। आइए जानते हैं इस कृत्रिम बारिश पर कितना खर्च आएगा।
वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो आईआईटी कानपुर योजना बनाने से लेकर क्रियान्वयन तक का काम पूरा करेगा। सरकार का काम सिर्फ परीक्षण के लिए पैसे मुहैया कराना होगा।
परीक्षण पर करीब 1.5 करोड़ रुपये होंगे खर्च
रिपोर्ट्स की मानें तो अनुमान है कि इसके लिए एक परीक्षण पर करीब 1.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगर इसके जरिए दिल्लीवासियों को प्रदूषण से राहत मिलती है तो यह उनके लिए बेहतर होगा। कृत्रिम बारिश के लिए सबसे पहले हवा की गति और दिशा अनुकूल होनी चाहिए। आसमान में करीब 40% बादल भी मौजूद होने चाहिए, जिसमें थोड़ा पानी भी होना चाहिए।
अगर ये चीजें नहीं होती हैं तो परीक्षण विफल हो सकता है और अत्यधिक बारिश भी खतरनाक है, क्योंकि ऐसा होने पर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
कैसे होती है नकली बारिश?
कृत्रिम बारिश के लिए वैज्ञानिक क्लाउड सीडिंग नामक एक खास विधि का इस्तेमाल करते हैं। इसमें सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ या साधारण नमक को बादलों में छोड़ा जाता है। विमानों के अलावा रॉकेट, गुब्बारे या ड्रोन के ज़रिए भी यह काम किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए सही बादलों का चयन करना बहुत ज़रूरी है। सर्दियों में बादलों में पानी और नमी कम होती है।
यही वजह है कि वे पर्याप्त बारिश नहीं कर पाते। अगर मौसम शुष्क रहा तो यह कोशिश विफल हो सकती है और ये बूंदें ज़मीन पर पहुँचने से पहले भाप में बदल सकती हैं।
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