India News (इंडिया न्यूज),LG VK Saxena News: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति के तहत राजस्व विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जांच की मंजूरी दी है। यह मामला दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जमीन को निजी व्यक्तियों को बेचने से संबंधित है। इस संदर्भ में हौज खास, दक्षिण जिले के तत्कालीन एसडीएम का मामला भी जांच के दायरे में है।
कैसे हुआ जमीन का फर्जीवाड़ा?
1965 में डीडीए द्वारा अधिग्रहित खसरा नंबर 351 की जमीन विवाद का केंद्र है। 2019 में, बाला देवी नामक महिला ने इस जमीन का सीमांकन कराने के लिए आवेदन दिया। राजस्व अधिकारियों ने 44 बीघा और 19 बिस्वा की जमीन में से एक बीघा और पांच बिस्वा जमीन को निजी संपत्ति के रूप में चिह्नित कर दिया। इसके बाद, अधिकारियों ने बाला देवी को “नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी)” जारी कर दी। डीडीए ने अदालत में स्पष्ट किया कि यह जमीन सरकारी है, जिस पर अवैध निर्माण हटाकर कब्जा वापस लिया गया है। बावजूद इसके, तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार डीसी साहू ने इस जमीन की बिक्री का पंजीकरण कर दिया।
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी
उपराज्यपाल ने डीसी साहू, रमेश कुमार (पूर्व कानूनगो) और अनिल कुमार (पूर्व तहसीलदार) के खिलाफ जांच को हरी झंडी दी है। सतर्कता विभाग को निर्देश दिया गया है कि एक हफ्ते के भीतर तत्कालीन एसडीएम का मामला प्रस्तुत किया जाए। एलजी ने अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मामलों को समयबद्ध तरीके से निपटाने और देरी से बचने के लिए भी निर्देशित किया है।
एलजी का सख्त संदेश
पदभार संभालने के बाद से उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने राजस्व, उत्पाद शुल्क, जीएसटी, पीडब्ल्यूडी और शिक्षा जैसे विभागों में दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। यह मामला उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूती देता है।