India News (इंडिया न्यूज),Lok Adalat Love Marriage: दिल्ली की लोक अदालत में एक अनोखा मामला सामने आया, जहां पांच साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद एक तलाकशुदा जोड़े ने फिर से शादी कर ली। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब अदालत ने इस दंपति को समझौते के तहत दोबारा विवाह करने की अनुमति दी। पहले तलाक, फिर शादी के अमान्य होने और अंततः पुनर्मिलन की इस जटिल कहानी में प्यार और समझौते ने जीत दर्ज की।
कानूनी पेचीदगियों के बीच उलझा रिश्ता
इस कहानी की शुरुआत तब हुई जब महिला ने अपने पहले पति को छोड़कर प्रेम विवाह किया, लेकिन उसने अपने दूसरे पति से यह सच छुपाया कि वह पहले से शादीशुदा थी। जब यह सच्चाई सामने आई, तो दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और मामला कोर्ट तक पहुंच गया। अदालत ने पाया कि महिला ने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली थी, इसलिए इस विवाह को अमान्य घोषित कर दिया। इस दौरान महिला का पहले पति से भी तलाक हो गया और वह अपने दूसरे पति के खिलाफ भरण-पोषण का मुकदमा लड़ रही थी। कानूनी लड़ाई के बीच, वह अपने पहले पति से अलग हो चुकी थी और दूसरे पति से भी अनबन चल रही थी। हालात तब और जटिल हो गए जब महिला को अपने बच्चे की परवरिश की चिंता सताने लगी।
बच्चे ने बदली रिश्ते की परिभाषा
महिला और उसके दूसरे पति के बीच तलाक और कानूनी लड़ाई की दीवार खड़ी हो चुकी थी, लेकिन उनके बच्चे ने इस रिश्ते को नया मोड़ दिया। महिला ने अपने दूसरे पति के खिलाफ बच्चे के भरण-पोषण के लिए केस दायर किया था, जिस पर कोर्ट में कई बार सुनवाई हुई। इस कानूनी प्रक्रिया के दौरान दोनों के बीच बातचीत फिर से शुरू हुई। व्हाट्सऐप चैट और अदालत में होने वाली मुलाकातों ने दोनों के बीच पुरानी यादों को ताजा कर दिया। धीरे-धीरे, उनकी बातचीत बढ़ी और आपसी समझ विकसित होने लगी। रिश्ते में फिर से जुड़ने की चाहत जागी और यही कारण बना कि दोनों ने अपने मतभेद भुलाकर फिर से शादी करने का फैसला किया।
लोक अदालत में बनी सुलह की राह
यह मामला जब लोक अदालत में पहुंचा, तो अदालत ने दोनों को समझौते का सुझाव दिया। काउंसलिंग सेशंस के दौरान उन्हें समझाया गया कि बच्चे की भलाई और भविष्य के लिए उनके एक साथ रहने का फैसला बेहतर होगा। कई दौर की बातचीत और सोच-विचार के बाद, दोनों ने दोबारा शादी करने का निर्णय लिया। लोक अदालत ने उनकी शादी को कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए उन्हें पुनर्विवाह करने की सलाह दी। आखिरकार, दोनों ने अदालत के समक्ष सात फेरे लिए और अपनी शादी को वैध करवा लिया। इस शादी के साथ ही पांच साल की कानूनी लड़ाई का अंत हुआ और एक नया अध्याय शुरू हुआ।
प्रेम और समझौते की अनूठी मिसाल
पति के वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि यह एक जटिल कानूनी मामला था, लेकिन लोक अदालत की पहल से इसका हल निकला। उन्होंने कहा कि इस केस से यह सीख मिलती है कि आपसी बातचीत और समझौते से किसी भी समस्या का समाधान संभव है। ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते हैं, जहां पति-पत्नी के बीच पांच साल तक चले विवाद का अंत प्रेम और सुलह के साथ होता है। यह कहानी दर्शाती है कि रिश्ते में अगर समझ बनी रहे, तो बिखरे हुए धागे फिर से जुड़ सकते हैं। पांच साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, इस जोड़े ने तीसरी बार शादी कर अपने रिश्ते को एक नया मौका दिया, जो उनके बच्चे और खुद के भविष्य के लिए भी एक सकारात्मक कदम साबित हुआ।